World TB Day : मानव इतिहास की सबसे पुरानी बीमारी टीबी न तो गरीब समझती है और न ही अमीर। विश्व में अभी भी क्षयरोग को बड़ी बीमारियां मानी जाती हैं। डब्ल्यूएचओ ने 1982 में विश्व टीबी दिवस की शुरुआत की थी, तब से हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करना है।
हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है, जिसे क्षयरोग, तपेदिक और यक्ष्मा के नाम से भी जाना जाता है। इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अलग-अलग देशों में जरूरतमद लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाता है। इस बार टीवी दिवस की थीम- हां, हम टीबी को खत्म कर सकते हैं- कमिट, इन्वेस्ट, डिलीवर (Yes! We Can End TB: Commit, Invest, Deliver) है।
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टीबी से इन प्रसिद्ध हस्तियों की हो चुकी है मौत
भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन से लेकर कमला नेहरू तक टीबी से मरने वाली चर्चित हस्तियों की लंबी सूची है। टीबी की वजह से सत्यजीत रे, प्रेमचंद, सुभद्रा कुमारी चौहान, नंदलाल बोस और विष्णुदास भाट का निधन हुआ था। जहां साल 1992 में टीबी से फिल्म डायरेक्टर और राइटर सत्यजीत रे की मृत्यु हुई थी तो वहीं हिंदी साहित्य के महान लेखक प्रेमचंद को टीबी था, जिससे उनकी 1936 में मौत हो गई थी। 1948 में स्वतंत्रता सेनानी और कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने टीबी से दम तोड़ दिया था। साल 1982 में प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस और 1965 में प्रसिद्ध संगीतकार विष्णुदास भाट की टीबी से मौत हुई थी।
टीबी मुक्त की ओर से बढ़ रहा भारत
भारत भी टीबी मुक्त की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। विश्व स्तर पर टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की समर्पित यात्रा को मान्यता मिली, जिसमें 2015 से 2023 तक टीबी की घटनाओं में 17.7 प्रतिशत की कमी आई। यह दर 8.3 प्रतिशत की वैश्विक औसत गिरावट से दोगुनी है। डब्ल्यूएचओ ने टीबी की ग्लोबल रिपोर्ट 2024 में इसका खुलासा किया था। भारत सरकार का राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) मील का पत्थर साबित हुआ, जिससे देश में 2025 तक टीबी उन्मूलन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिल रही है।
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