Schizophrenia: सिजोफ्रेनिया एक मेंटल डिसऑर्डर है, इसमें पीड़ित को सामाजिक और बिजनेस एरिया में रोज के कामकाज में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह डिसऑर्डर होना वैसे तो काफी कम ही पाया माना जाता है लेकिन ये काफी गंभीर समस्या है और ज्यादातर लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। टीनएज में ज्यादातर यह परेशानी देखी जाती है। इस बीमारी में भ्रम की स्थिति बन जाती है, जिसके कारण पीड़ितों को सोशल इंटरेक्शन करने में भी दिक्कतों से जूझना पड़ सकता है।
सिजोफ्रेनिया को लेकर कई बार सही जानकारी न होने पर लोग अंधविश्वास में पड़ जाते हैं। जबकि यह समस्या एक डिसऑर्डर है, जिसे अच्छे माहौल, अच्छी थेरेपी और दवाओं से कंट्रोल किया जा सकती है। समय रहते इसके लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी होता है, ताकि कंडीशन बिगड़ने से पहले संभाल पाएं।
सिजोफ्रेनिया में होने वाली परेशानी
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित अगर कोई टीनएज है तो इसके लक्षणों की पहचान करना मुश्किल काम होता है, क्योंकि कई बार उम्र से जुड़े व्यवहार को समझ लिया जाता है। इस समस्या से पीड़ित लड़का या लड़की समाज से धीरे-धीरे कटने लगता है। दूसरों के लिए व्यवहार में बदलाव आने लगता है और छोटी-छोटी बातों पर शक करने के साथ-साथ अकेले रहने में ही खुद को सेफ महसूस करता है।
वैसे तो सिजोफ्रेनिया केा कोई साफ कारण नहीं पता है। लेकिन यह समस्या ड्रग्स, ज्यादा मात्रा में अल्कोहल लेना, तनाव में रहना, जेनेटित या कोई पुरानी बीमारी की वजह से भी हो सकती है।
सिजोफ्रेनिया की बीमारी के लिए कोई सटीक जांच उपलब्ध नहीं है, इसके लिए डॉक्टर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, मेंटल स्टेट, सोशियल फैक्टर और लक्षणों का अंदाजा लगा सकते हैं। इस समस्या में मेडिटेशन, करीबियों का साथ और बिहेवियरल थेरेपी व दवाओं से कंट्रोल में कर सकते हैं। वहीं, अल्कोहल और धूम्रपान से मरीज को दूर रखना चाहिए।
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।