Patanjali News: फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लिवर में फैट की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। यह रोग खराब लाइफस्टाइल, खराब खानपान, मोटापा और अधिक शराब पीने से होता है। शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण भी यह रोग तेजी से बढ़ रहा है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह लिवर सिरोसिस या लिवर फेलियर जैसी गंभीर स्थितियों में बदल सकता है। ऐसे में हम आयुर्वेदिक चिकित्सा का सहारा भी ले सकते हैं। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन के अनुसार, दिव्य लिवोग्रिट एक प्रभावशाली विकल्प हो सकता है।
पतंजलि और आयुर्वेद की भूमिका
देश-विदेश में पतंजलि ने ही बढ़-चढ़कर आयुर्वेद को फैलाया है। आयुर्वेद भारत की पुरानी इलाज पद्धति है, जो अनेकों बीमारियों का उपचार कर सकती है। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन सेंटर, हरिद्वार, बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और सीनियर डॉक्टर अनुराग वार्ष्णेय द्वारा चलाई जाती है। यहां आयुर्वेदिक दवाओं और अलग-अलग पुरानी पद्धतियों की मदद से इलाज किए जाते हैं। विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए साइंटिफिक फॉर्मूले की भी मदद ली जाती है।
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फैटी लिवर का इलाज करेगी यह दवा
फैटी लिवर एक घातक रोग है। एलोपैथी की सहायता से इसका इलाज किया जा सकता है। मगर आयुर्वेद की मदद लेने से इलाज असरदार और ज्यादा सटीक होता है। पतंजलि की दिव्य लिवोग्रिट की मदद से पतंजलि ने देश के कई मरीजों का उपचार किया है।
दिव्य लिवोग्रिट क्या है?
दिव्य लिवोग्रिट पतंजलि आयुर्वेद द्वारा विकसित की गई एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसे विशेष रूप से लिवर की कार्यक्षमता को सुधारने और उसे विषैले पदार्थों से मुक्त रखने के लिए तैयार किया गया है। यह पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन की प्रयोगशालाओं में आधुनिक अनुसंधान और पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान को मिलाकर तैयार किया गया है। पतंजलि की इस दवा में कई लाभकारी गुणों से भरपूर जड़ी-बूटियां हैं।
इन जड़ी-बूटियों से बनी दवा
भृंगराज - इसे लिवर टॉनिक माना जाता है।
कुटकी- लिवर को डिटॉक्स करने और पाचन क्रिया को सुधारने में कारगर।
त्रिफला- ये जड़ी-बूटी तीन फलों का मिश्रण है, जो शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है।
कालमेघ- यह जड़ी-बूटी लिवर को संक्रमण और सूजन से बचाने में सहायक है।
फैटी लिवर पर दिव्य लिवोग्रिट का असर
1. दिव्य लिवोग्रिट में मौजूद हर्बल तत्व लिवर में फैट की मात्रा को कम करते हैं।
2. यह दवा लिवर को डिटॉक्स करने में सहायक है।
3. इस दवा के नियमित सेवन से लिवर एंजाइम्स जैसे ALT और AST के स्तर में सुधार होता है।
4. लिवर के सही कार्य करने से पाचन और मेटाबॉलिज्म का काम बेहतर तरीके से होता है।
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