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माइक्रोप्लास्टिक जनित फेफड़ों की समस्याओं का एक आयुर्वेदिक समाधान, पतंजलि दिव्य ब्रोंकोम

Patanjali News: आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के संगम से पतंजलि ने दिखाया कि ब्रोंकोम जैसी आयुर्वेदिक औषधियां माइक्रोप्लास्टिक से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान देने में सक्षम हैं।

Patanjali News: आज पूरा विश्व प्लास्टिक के कारण होने वाली स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं से ग्रसित है। यह प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है, अब हवा, पानी और भोजन में भी पाए जा रहे हैं। हम बिना जाने हर रोज इनका सेवन कर रहे हैं। जब ये कण मानव शरीर में प्रवेश करते हैं, खासकर फेफड़ों में, तो ये कण, सूजन, जलन और कोशिकीय क्षति जैसी समस्याएं उत्पन्न करते हैं। इससे Lung Inflammation और Airway Hyper-Responsiveness जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

पतंजलि ने की रिसर्च

पतंजलि के वैज्ञानिकों द्वारा चूहों पर किए गए नवीनतम शोध ने यह पुष्टि की है कि माइक्रोप्लास्टिक के कारण होने वाले फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी को आयुर्वेदिक औषधि ब्रोंकोम से काफी हद तक रोका जा सकता है। इस अनुपम अनुसंधान से पुष्टि हुई कि ब्रोंकोम के उपचार ने माइक्रोप्लास्टिक से होने वाले फेफड़ों के इन्फ्लेमेशन से जुड़ें मार्कर्स जैसे Cytokine Release तथा इसके साथ-साथ Airway Hyper-Responsiveness को कम किया। यह शोध विश्व प्रतिष्ठित Elsevier प्रकाशन के अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल Biomedicine & Pharmacotherapy में प्रकाशित हुआ है। आयुर्वेद के इस नवीनतम अनुसन्धान को विस्तृत रूप से जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S0753332225003166 DOI: https://doi.org/10.1016/j.biopha.2025.118122

आचार्य बालकृष्ण क्या बोले?

इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि का उद्देश्य आयुर्वेद को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करना और विश्व की स्वास्थ्य से जुड़ी वर्तमान समस्याओं का समाधान प्रदान करना है। यह शोध प्रमाणित करता है कि सनातन ज्ञान, लक्षित अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित औषधियों के माध्यम से पर्यावरणीय कारकों द्वारा जनित बीमारियों का भी समाधान संभव है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने इस अवसर पर कहा कि सनातन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के इस अद्भुत संगम में पूरे विश्व को निरोगी बनाने की अपार क्षमता है। हमारा प्रयास है कि आयुर्वेद के इस प्राचीन ज्ञान को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया जाए। ये भी पढ़ें- भारत में एक्यूट डर्मेटाइटिस के मामले क्यों बढ़ें, पतंजलि रिसर्च सेंटर में बनी दवा कितनी असरदार है?


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