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Legionnaires क्या है और कैसे हो सकता है खतरनाक? जानें लक्षण और इलाज

Legionnaires Disease: आप निमोनिया के बारे में तो जानते ही हैं, यह फेफड़ों का एक सामान्य संक्रमण है जिसके कारण फेफड़ों के टिश्यू में सूजन आ जाती है। निमोनिया के कारणों में से एक लेजियोनेला न्यूमोफिला नामक जीवाणु है। लीजियोनेला न्यूमोफिला, एक एरोबिक बैक्टीरिया है जिसे पहली बार 1979 में पहचाना गया था, जो लीजियोनेरेस […]

Legionnaire Disease
Legionnaires Disease: आप निमोनिया के बारे में तो जानते ही हैं, यह फेफड़ों का एक सामान्य संक्रमण है जिसके कारण फेफड़ों के टिश्यू में सूजन आ जाती है। निमोनिया के कारणों में से एक लेजियोनेला न्यूमोफिला नामक जीवाणु है। लीजियोनेला न्यूमोफिला, एक एरोबिक बैक्टीरिया है जिसे पहली बार 1979 में पहचाना गया था, जो लीजियोनेरेस रोग का कारण बनता है। यह एक गंभीर बीमारी है जो घातक हो सकती है, वृद्धों और अंडरलाइंग थेरप्यूटिक वाले लोगों में होती है। लेकिन अगर इलाज न किया जाए तो लीजियोनेरेस रोग घातक हो सकता है। भले ही लीजियोनेरेस की बीमारी एंटीबायोटिक से ठीक किया जा सकता है, फिर भी कुछ मरीजों को इसका अनुभव होता है। लीजियोनेयर्स बीमारी उस समय हो सकती है, जब फेफड़े लेजियोनेला बैक्टीरिया से इन्फेक्टेड होते हैं। आमतौर पर यह नदियों, तालाबों में पाया जाता है। वैसे हेल्थ स्पेशलिस्ट इसके बारे में नहीं जानते थे पर अब यह माना जाता है कि लीजियोनेयर्स (Legionnaires) एक तरह से निमोनिया का एक फॉम है।

लीजियोनिएरेस होने के कारण

लीजियोनेरेस रोग में बैक्टीरिया एयर कंडीशनिंग सिस्टम, हॉट टब और कूलिंग टावर जैसे गर्म पानी के वातावरण में पनपते हैं। ये हवा में फैल जाता है। दूषित पानी की बूंदों को सांस के जरिए अंदर लेने से लोग लीजियोनेला न्यूमोफिला बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकते हैं। यह किसी बड़ी इमारत के वेंटिलेशन सिस्टम से पानी या शॉवर, नल से भी हो सकता है। ये भी पढ़ें- Lipoma का चर्बी से क्या है नाता, कैसे हो सकता है खतरनाक! जानें कारण और इलाज

लक्षण

इसमें तेज बुखार, खांसी, दस्त और भ्रम जैसे लक्षण शामिल होते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह बीमारी निमोनिया जैसी है जो हल्के बुखार से लेकर गंभीर और कभी-कभी घातक रूप में बदल सकती है।

किसको है ज्यादा खतरा?

सभी रोगियों में कुछ प्रकार की कॉमरेडिटी होती है, जैसे स्मोकिंग, सांस संबंधी लक्षणों का इतिहास, मोटापा, डायबिटीज और हाई बीपी। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस बीमारी को लेकर नहीं पता है कि क्या ये फैलने वाला रोग है। आमतौर पर, Legionnaires बीमारी इन्फेक्टेड नहीं है।

क्या करें लीजिओनेला का पता चलने पर ?

अगर पूरे सिस्टम में का लेवल बढ़ा हुआ दिखाई देता है, कि वाकई में चिंता का विषय है, तो जल प्रणाली के प्रभावित हिस्सों को अलग कर दिया जाना चाहिए और तब तक यूज नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि बैक्टीरिया के विकास को कम करने के उपाय नहीं किए जाते। चरम मामलों में, ऐसा होने पर संपूर्ण जल प्रणाली बंद हो सकती है।

लेजियोनैरिस डिजीज का इलाज

लेजियोनैरिस बीमारी का इलाज एंटीबायोटिक से किया जाता है। बिना देर किए जितनी जल्दी हो सके इसका इलाज शुरू किया जाता है। इस समसयाओं के होने का खतरा बहुत कम हो जाता है। जिन्हें दूसरी समस्याएं होती हैं उनको काफी सारी बीमारियों का खतरा रहता है। इस बीमारी में मरीज को ऑक्सीजन के अलावा उन्हें इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) भी दिया जाता है जिससे डिहाइड्रेशन की दिक्कत को कम किया जा सके।

घरेलू उपाय

लेजियोनैरिस डिजीज को रोकने के लिए कुछ घरेलू उपचार भी कर सकते हैं। इसके लिए घर पर ही बने इलेक्ट्रोलाइट का इस्तेमाल करें, साथ में उन चीजों को अपने खानपान में इस्तेमाल करें,जिनमें इन्फेक्शन कम हो सके।
  • गर्म पानी का उपयोग करें
  • गर्म पानी से नहाएं
  • घर पर ही नेब्यूलाइजर का इस्तेमाल करें
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।


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