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ब्लड कैंसर के लिए ऐसी थेरेपी, जो मरीजों पर 80% है कारगर; देश के पहले CAR-T Therapy को मिली मंजूरी

India First CAR-T Therapy Approved For Blood Cancer Treatment: भारत में हर साल करीब 14 लाख से ज्यादा कैंसर के मरीज सामने आते हैं।

कैंसर सेल्स पर एक रिसर्च हुई है, जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं।
India First CAR-T Therapy Approved For Blood Cancer Treatment: ब्लड कैंसर के जूझ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन यानी CDSCO की ओर से देश की पहली 'काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (CAR)-टी सेल' थेरेपी को मंजूरी मिल गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विशेषज्ञ कार्य समिति की सिफारिश पर इस थेरेपी को बाजार में लाने की मंजूरी मिली है। इस थेरेपी का इस्तेमाल लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (व्हाइट ब्लड सेल्स को पैदा करने वाली सेल्स से उत्पन्न होने वाला कैंसर) और बी-सेल लिंफोमा (लसीका सिस्टम से होने वाला कैंसर) जानलेवा कैंसर से जूझ रहे मरीजों का इलाज किया जा सकेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये थेरेपी ब्लड कैंसर के मरीजों पर करीब 80 फीसदी प्रभावी है।

क्या है ये तकनीक?

'काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (CAR)-टी सेल' थेरेपी, ऐसी तकनीक है, जिसमें मरीज से व्हाइट ब्लड सेल्स से टी सेल्स निकाला जाता है। इसके बाद ट्यूमर सेल्स को टार्गेट करने के लिए टी सेल्स को लैब में मोडिफाई किया जाता है और फिर इसे वापस मरीज के शरीर में डाल दिया जाता है। मॉडिफाई किए जाने के बाद टी सेल्स मरीज के शरीर में मौजूद कैंसर को खत्म कर देते हैं।

अमेरिका में 2017 में इस थेरेपी को मिल चुकी है मंजूरी

भारत से पहले इस थेरेपी को अमेरिका में 2017 में मंजूरी मिल चुकी है। भारत में इस थेरेपी पर विशेषज्ञों ने 2018 में काम शुरू किया। कहा जा रहा है कि भारत में ये थेरेपी अगले कुछ दिनों में उपलब्ध हो सकेगी। इसका खर्च करीब 30 से 40 लाख रुपये आ सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में ये थेरेपी और सस्ती हो सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, कहा जा रहा है कि मल्टीपल मायलोमा कैंसर के इलाज के लिए भी जल्द ही इसकी टेस्टिंग की जाएगी।

इस थेरेपी को किसने किया विकसित?

रिपोर्ट के मुताबिक, IIT बॉम्बे और टाटा मेमोरियल सेंटर (TMC) ने मिलकर इस थेरेपी को विकसित किया है। इस थेरेपी को मंजूरी दिए जाने से पहले इसकी टेस्टिंग देश के अलग-अलग अस्पतालों में की जा चुकी है। जिसका परीक्षण देश के कई बड़े अस्पतालों में दो अलग अलग चरणों में हुआ है। परीक्षण के बाद ही डॉक्टरों ने इसे 80 फीसदी तक कारगर पाया।

CAR-T थेरेपी को इम्यूनोथेरेपी भी कहा जाता है

जानकारी के मुताबिक, भारत के अलावा दुनिया के कई अन्य देशों में भी CAR-T थेरेपी पर काम किया जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसे इम्यूनोथेरेपी के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि भारत में हर साल करीब 14 लाख से ज्यादा कैंसर के मरीज सामने आते हैं। हर साल इनकी संख्या भी बढ़ रही है। देश में अभी तक रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी और सर्जरी के जरिए कैंसर का इलाज होता है।


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