2 तरह की होती है फैटी लिवर बीमारी
फैटी लिवर में पहला अल्कोहलिक फैटी लिवर की बीमारी (Alcoholic Fatty Liver Disease) और नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजिज (Non Alcoholic Fatty Liver Disease) आती है। यह लिवर की सूजन (Enlarged Liver) और लिवर डैमेज (Liver Damage) से जुड़ा होता है, जो आगे चलकर लिवर कैंसर का (Liver Cancer) कारण बन सकती हैं।लोगों को एक्सपर्ट की ये सलाह
फेमस डॉ. एबी फिलिप्स ने कहा कि भारत में रह रहे लोगों को अगर मेटाबॉलिज्म से जुड़ी फैटी लिवर की बीमारी है, तो उन्हें डाइट में सैचुरेटेड फैट वाले फूड्स कम करने चाहिए। जो लोग घी, मक्खन ज्यादा खाते हैं, उन्हें भी इनका कम सेवन करना चाहिए। जबकि, साउथ के लोगों को भी नारियल तेल कम यूज करना चाहिए। इनके अलावा पाम ऑयल जिसका ज्यादातर प्रोसेस्ड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में करते हैं। यह ऑयल भी बहुत हानिकारक हो सकता है। ये ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ाते हैं जिससे लिवर में सूजन और फैट बढ़ता है।देसी घी का सेवन कम करें
घी हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि इसका सेवन भी सावधानी से करना चाहिए क्योंकि, इसमें 60% से ज्यादा सैचुरेटेड फैट होता है।डाइट में क्या-क्या बदलाव करें
डेली का खाना पकाने के लिए अलग-अलग तरह के सीड्स ऑयल के यूज कर सकते हैं। डीप फ्राइंग या तलने के बदले स्टीमिंग, बेक, ब्रॉयल, ग्रिल कर सकते हैं। इस तरह डेली डाइट में प्लांट बेस्ड प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ फलों को डाइट में शामिल करें। ये भी पढ़ें- Body Dysmorphic बीमारी क्या? जिससे करण जौहर पीड़ित, शुरुआती लक्ष्ण भी हैं बेहद कॉमन
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