Erectile Dysfunction: इरेक्टाइल डिसफंक्शन को ED, नपुंसकता या इंपोटेंस (Impotence) के नाम से जाना जाता है. यह एक आम सेक्शुअल प्रॉब्लम है. इसमें पुरुषों को इरेक्शन आने में या मेंटेन करने में दिक्कत होती है. इसके अलावा इरेक्टाइल डिसफंक्शन में इरेक्शन की क्वालिटी यानी हार्डनेस प्रोपर नहीं होती है. ऐसे में कहा जाता है कि व्यक्ति को इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो गया है. नॉर्मल इरेक्शन के लिए ब्लड फ्लो ठीक होना चाहिए और होल्ड होना चाहिए. ऐसा ना होने पर यह समस्या होती है. इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लक्षण (Erectile Symptoms) तो आपने जान लिए, अब जानिए इरेक्टालइल डिसफंक्शन होने के कारण क्या हैं और इस समस्या का ट्रीटमेंट क्या है.
इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने के क्या कारण हैं
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन का सबसे आम कारण (Erectile Dysfunction) है ब्लड फ्लो ठीक तरह से ना होना पर या फिर बैक ब्लड फ्लो यानी ब्लड फ्लो पीछे की तरफ जाना.
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारणों को 2 भागों में बांटा जा सकता है, पहला है फिजिकल और दूसरा है साइकोलॉजिकल. फिजिकल और साइकोलॉजिकल कारणों (Psychological Reasons) के चलते इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो सकता है.
- युवा पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन ज्यादातार साइकोलॉजिक्ल कारणों से होता है. वहीं, बड़ी उम्र के पुरुषों में फिजिकल वजहें इरेक्टाइल डिसफंक्शन के पीछे उत्तरदायी होती हैं.
- साइकोलॉजिकल कारणों में तनाव सबसे आम है. यह स्ट्रेस पर्सनल या प्रोफेशनल लाइफ का हो सकता है या फिर सेक्स से जुड़ा भी हो सकता है. डिप्रेशन और एंजाइटी भी इस परेशानी का कारण हैं.
- फिजिकल कारणों में सबसे आम है दिल की दिक्कतें और हाई ब्लड प्रेशर. इसके अलावा, हाई कॉलेस्ट्रोल, ब्लड शुगर, एल्कोहल का सेवन, धूम्रपान करना और मोटापा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण हो सकता है.
- कुछ दवाइयां जैसे एंटीडिप्रेसेंट, ब्लड प्रेशर की दवाएं, जुकाम की दवा, एसिडिटी के लिए खाई गई दवा या फिर पेनकिलर्स भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन में कोंट्रिब्यूट करते हैं. यह समझना जरूरी है कि हर दवाई से इरेक्टाइल डिसफंक्शन नहीं होता है लेकिन कुछ लोगों को जो ये दवाएं लेते हैं उन्हें यह हो सकता है.
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लक्षण नजर आएं तो क्या करना चाहिए
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अगर आपको खुद में इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लक्षण नजर आएं तो आपको स्पेशलिस्ट डॉक्टर यानी साइकाइट्रिस्ट या यूरोलॉजिस्ट से मिलने की आवश्यक्ता है.
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज
स्पेशलिस्ट से मिलने के बाद वे कंसल्टेशन में आपसे पर्सनल और आपकी सेक्स लाइफ से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं. आपसे पूछा जा सकता है कि आपको इरेक्शन हमेशा होता है या नहीं, मास्टरबेशन के दौरान इरेक्शन होता है या नहीं. इसके अलावा ब्लड और यूरिन टेस्ट किए जा सकते हैं जिसमें ब्लड शुगर या कॉलेस्ट्रोल वगैरह की जांच होती है.
पीनस (Penis) का अल्ट्रासाउंड, जिसे पिनाइल डॉपलर टेस्ट कहते हैं, किया जाता है. इसमें अल्ट्रासाउंड के द्वारा वीडिया फुटेज ली जा सकती है और पीनस का ब्लड फ्लो स्टडी करके देखा जा सकता है कि कहीं कोई ब्लॉकेज तो नहीं आ रही है.
इस डाटा के आधार पर इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारण का पता लगाया जाता है और उसके अनुसार ही फिर ट्रीटमेंट शुरू होता है. यह एक ट्रीटेबल कंडीशन है और कई हद तक इसे ठीक किया जा सकता है.
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अस्वीकरण - इस खबर को सामान्य जानकारी के तौर पर लिखा गया है. अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें या चिकित्सक से परामर्श करें. न्यूज24 किसी तरह का दावा नहीं करता है.