नेटफ्लिक्स अपनी जबरदस्त वेब सीरीज के लिए सबसे पॉपुलर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। इस एप पर हाल ही में एक सीरीज रिलीज हुई है, जिसका नाम एडोलेसेंस है। यह 13 मार्च 2025 को रिलीज हुई थी, जिसे भारत समेत दुनियाभर में काफी पसंद किया जा रहा है। जैक थॉर्न और स्टीफन ग्राहम की यह ब्रिटिश क्राइम थ्रिलर एक 13 साल के लड़के के ईर्द-गिर्द घूम रही है। इस बच्चे का मेल इगो, गुस्सा, जिद और माता-पिता की अनदेखी उसे अपनी क्लासमेट का खूनी बनाने को मजबूर कर देती है। इसके अलावा, सबसे बड़ा स्कैम इंटरनेट का है, जो बच्चे के दिमाग को इस प्रकार खोखला कर देता है कि वह मर्डर बन जाता है।
पेरेंट्स क्यों देखें सीरीज?
यह सीरीज हर माता-पिता को देखनी चाहिए क्योंकि इस कहानी में देखा गया है कि बच्चा अपने घर के नेगेटिव माहौल, साइबर बुलिंग और डार्क साइड ऑफ सोशल मीडिया के चलते मल्टीपल डिसऑर्डर से ग्रस्त हो जाता है, जिस वजह से वह आक्रोशित, गुस्सैल और टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी कल्चर के घेरे में आ जाता है। दरअसल, 13 साल के जेमी मिलर पर आरोप होता है कि उसने अपनी क्लासमेट का खून किया है। बच्चे को सोशल मीडिया पर साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ा था। सीरीज में एक इमोजी को लेकर पूरी घटना शुरू होती है। जहां इमोजी का इस्तेमाल लोग हंसने या भावना दर्शाने के लिए करते हैं, वहीं इस सीरीज में एक इमोजी के चलते ही जेमी आग बबूला हो उठता है। यही वजह है कि सोशल मीडिया बच्चों के दिमाग को नुकसान पहुंचा रहा है।
इन 5 बातों ने खोली माता-पिता की आंखें
1. परिवार क्यों जरूरी- सीरीज में जेमी का परिवार बिखरा हुआ होता है और हमेशा अपने काम में व्यस्त रहता है। डॉक्टर युवराज पंत कहते हैं कि आजकल इस वजह से बच्चे हमेशा खुद को अकेला रहने और ज्यादा समय इंटरनेट पर बिताने में लगा देते हैं।
ये भी पढ़ें- समान्य और टीबी की खांसी में क्या अंतर? जानें एक्सपर्ट से2. इंटरनेट का काला सच- आजकल तकनीक का इस्तेमाल हर काम में किया जाता है। इंटरनेट का प्रयोग भी तकनीक का एक हिस्सा है। माता-पिता बच्चों को समय गुजारने के लिए फोन और लैपटॉप देते हैं, लेकिन इस बात पर ध्यान बिल्कुल नहीं देते कि आखिर बच्चे समय कहां बिता रहे हैं।
3. बच्चों के सवालों को न सुनना- कई बार बच्चे कुछ ऐसी चीजों को इंटरनेट पर देखते हैं, जो उनके मन में कई सवालों को उठाती है लेकिन माता-पिता उनके इन सवाल बुरी तरह से इग्नोर करते हैं। इग्नोर करने से बच्चे ऐसे सवालों के बारे में इंटरनेट पर सर्च करते हैं।
4. बुलिंग हो रही है या नहीं- माता-पिता को इस बात को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि उनके बच्चे इंटरनेट पर क्या देख रहे हैं। कई बार बच्चे सोशल मीडिया साइट्स पर तरह-तरह की टिप्पणियों और कमेंट्स के चलते ऑफेंड हो जाते हैं और गुस्से में गलत कदम उठा लेते हैं, जो उनके लिए नुकसानदायक साबित होता है।
5. लड़कों पर ध्यान देना भी जरूरी- अक्सर माता-पिता लड़कियों को इंटरनेट और सोशल मीडिया से दूर रखते हैं जबकि किशोरावस्था में लड़के और लड़की दोनों पर ही ध्यान देने की जरूरत होती है कि वे इंटरनेट पर क्या देख रहे हैं और कैसे लोगों से जुड़े हैं। इस उम्र में मूड स्विंग, तनाव और अकेलापन लड़कों में भी बढने लगता है, जो कई बार उन्हें चिड़चिड़ा बना देता है।
क्या करें?
1. इंटरनेट उपयोग पर निगरानी रखें।
2. परिवार के नियम बनाएं।
3. सेटिंग्स का उपयोग करें।
4. बच्चों की ऑनलाइन फ्रेंडशिप पर भी ध्यान दें।
5. अन्य कामों में व्यस्त रखें।
ये भी पढ़ें- पेट दर्द भी कही टीबी के लक्ष्ण तो नहीं? जानें बचाव के तरीकेDisclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।