How to identify Deepfake videos: सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर पायल गेमिंग का डीपफेक वीडियो काफी वायरल हो रहा है. इसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या वह वीडियो सच में असली है या फिर AI से बनाया गया डीपफेक? यही सवाल आज हर उस व्यक्ति के मन में होना चाहिए जो मोबाइल स्क्रीन पर दिखने वाली हर चीज पर आंख बंद करके भरोसा कर लेता है. AI के इस दौर में फोटो और वीडियो पर भरोसा करना पहले जैसा आसान नहीं रहा. OpenAI के Sora 2 और Google के Nano Banana जैसे टूल्स की मदद से अब ऐसे वीडियो बनाए जा सकते हैं जो देखने में बिल्कुल असली लगते हैं. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि असली और नकली वीडियो में फर्क कैसे किया जाए.
ग्लिच और छोटी-छोटी गड़बड़ियों पर रखें नजर
---विज्ञापन---
जब भी कोई संदिग्ध वीडियो आपके सामने आए, उसे ध्यान से देखें. AI से बने वीडियो भले ही कितने ही रियल क्यों न लगें, लेकिन उनमें अक्सर छोटी-छोटी गड़बड़ियां दिख जाती हैं. जैसे परछाई का गलत दिशा में होना, हाथ-पैर का अजीब तरह से मुड़ना या उंगलियों की गिनती में गड़बड़ी. ये छोटी बातें अक्सर डीपफेक की पहचान बन जाती हैं.
---विज्ञापन---
वीडियो की क्वालिटी देखें
आज लगभग हर किसी के पास अच्छा कैमरा वाला स्मार्टफोन है. ऐसे में अगर कोई वीडियो बहुत ज्यादा धुंधला, पिक्सेलेटेड या जानबूझकर खराब क्वालिटी में शेयर किया जा रहा है, तो सतर्क हो जाइए. कई बार AI से बने फेक वीडियो को जानबूझकर लो क्वालिटी में फैलाया जाता है ताकि कमियां छिपी रहें.
जरूरत से ज्यादा परफेक्शन भी खतरे की घंटी
अगर किसी वीडियो में सब कुछ जरूरत से ज्यादा परफेक्ट लगे बिल्कुल साफ त्वचा, फिल्म जैसी लाइटिंग, बिना किसी दाग-धब्बे के चेहरे तो रुककर सोचिए. असल जिंदगी के वीडियो इतने परफेक्ट नहीं होते. AI वीडियो को असली दिखाने की कोशिश में अक्सर हर चीज जरूरत से ज्यादा स्मूद और चमकदार बना देता है.
अजीब स्लो मोशन और कैमरा मूवमेंट
AI से बने कई वीडियो में यह देखा गया है कि कुछ हिस्से अचानक स्लो हो जाते हैं या कैमरा मूवमेंट अस्वाभाविक रूप से धीमा लगता है. रियल वीडियो में ऐसा बहुत कम होता है. अगर किसी वीडियो में यह पैटर्न बार-बार दिखे, तो यह डीपफेक का इशारा हो सकता है.
ऑडियो और लिप-सिंक से खुलती है पोल
डीपफेक वीडियो पकड़ने का सबसे आसान तरीका है ऑडियो पर ध्यान देना. कई बार बोलते हुए व्यक्ति के होंठ शब्दों से मेल नहीं खाते. कहीं आवाज बहुत साफ होती है तो कहीं बैकग्राउंड बिल्कुल गायब. यह लिप-सिंक की गड़बड़ी अक्सर AI जनरेटेड वीडियो में देखने को मिलती है.
सच से बहुत दूर लगे तो भरोसा न करें
AI वीडियो अक्सर इसलिए वायरल होते हैं क्योंकि उनमें कुछ ऐसा दिखाया जाता है जो सामान्य जिंदगी में संभव ही नहीं लगता. जैसे बच्चों का प्रोफेशनल मॉडल की तरह रैंप वॉक करना या जानवरों का खतरनाक स्टंट. अगर कोई वीडियो पहली नजर में ही अविश्वसनीय लगे, तो उसे सच मानने की बजाय सवाल उठाइए.
ये भी पढ़ें- Who Is Payal Gaming: कौन हैं पायल गेमिंग? लीक VIDEO होने पर मचा बवाल