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भारत बन रहा Apple का नया मैन्युफैक्चरिंग हब, 8 राज्यों में फैली सप्लाई चेन, 40 कंपनियां जुड़ी

Apple ने भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क का बड़ा विस्तार किया है. अब कंपनी के कंपोनेंट सप्लायर्स देश के आठ राज्यों में फैल चुके हैं और 40 से ज्यादा कंपनियां इसकी सप्लाई चेन का हिस्सा बन गई हैं.

भारत बन रहा Apple का नया मैन्युफैक्चरिंग हब. (Photo-Apple)

भारत में मैन्युफैक्चरिंग को लेकर राहुल गांधी द्वारा दिए गए चीन-केंद्रित बयान के बीच, टेक दिग्गज Apple की भारत में बढ़ती गतिविधियां एक अलग ही तस्वीर पेश कर रही हैं. ताजा रिपोर्टों के मुताबिक, Apple की सप्लाई चेन अब भारत के आठ राज्यों में फैल चुकी है, जहां 40 से ज्यादा भारतीय और विदेशी कंपनियां कंपनी के लिए कंपोनेंट्स और मशीनरी का उत्पादन कर रही हैं.

अब सिर्फ जोड़ने का नहीं, बनाने का काम

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शुरुआती दौर में Apple की भारत में मौजूदगी सिर्फ असेंबली तक सीमित थी. तमिलनाडु और कर्नाटक में Foxconn और Tata Electronics के प्लांट्स में iPhone जोड़े जाते थे. इसी आधार पर राहुल गांधी ने ‘मेक इन इंडिया’ पर सवाल उठाते हुए कहा था कि असली कमाई चीन में होती है और भारत सिर्फ आखिरी असेंबली करता है.

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हालांकि, अब हालात तेजी से बदल चुके हैं. Apple ने रणनीतिक बदलाव करते हुए भारत को केवल असेंबली हब नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग बेस बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं.

8 राज्यों तक फैला नेटवर्क

उद्योग से जुड़े आंकड़ों के मुताबिक, Apple से जुड़ी कंपनियां अब तमिलनाडु और कर्नाटक के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, केरल और उत्तर प्रदेश में भी सक्रिय हैं. इन राज्यों में केवल गोदाम या असेंबली यूनिट नहीं हैं, बल्कि ऐसे प्लांट लगाए गए हैं जहां कंपोनेंट्स और सब-असेंबली का निर्माण किया जा रहा है.

भारतीय कंपनियां बन रहीं सप्लायर

रिपोर्ट के मुताबिक, कई जानी-मानी भारतीय कंपनियां अब सीधे Apple की ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बन चुकी हैं. गुजरात में Hindalco, महाराष्ट्र में Bharat Forge और Wipro PARI, केरल में SFO Technologies, हरियाणा में VVDN Technologies और कर्नाटक में Aequs जैसी कंपनियां अब एनक्लोजर, प्रिसिशन मैकेनिकल पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमेशन सिस्टम की सप्लाई कर रही हैं.

एक्सपर्ट मानते हैं कि भारत अब भी सेमीकंडक्टर और हाई-एंड डिस्प्ले जैसे कुछ अहम कंपोनेंट्स के लिए आयात पर निर्भर है, लेकिन यह कहना कि “सभी पुर्जे चीन में बनते हैं” अब पूरी तरह सही नहीं है. जब देश के आठ राज्यों में 40 से ज्यादा कंपनियां Apple के लिए उत्पादन कर रही हैं, तो भारत को सिर्फ असेंबली देश कहना भ्रामक माना जा रहा है.

रोजगार और इनवेस्टमेंट को बढ़ावा

Apple की बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग से देश में कुशल नौकरियों के अवसर बढ़े हैं. हर नया कंपोनेंट जो भारत में बनता है, वह विदेशी निर्भरता को कम करता है और लोकल इंडस्ट्री को मजबूत बनाता है. कई भारतीय प्लांट अब ऐसे पार्ट्स बना रहे हैं, जो सीधे Apple के ग्लोबल प्रोडक्शन नेटवर्क में इस्तेमाल हो रहे हैं.

सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना पर भले ही सियासत चलती रही हो, लेकिन जमीन पर इसका असर नजर आने लगा है. मल्टीनेशनल कंपनियां भारत को अब सिर्फ बाजार नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में देखने लगी हैं.


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