Explainer: दुनिया के देशों में जेंडर चेंज कराने के लिए क्या है कानून, कैसे मिलती है परमिशन? जान लें जरूरी बात
Law Regarding Gender Change: दुनियाभर में जेंडर चेंज कराने यानी लिंग परिवर्तन कराने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। भारत में भी इसे लेकर खबरें आती रहती हैं। हालांकि ऐसा करना आसान नहीं है। जेंडर चेंज कराने की प्रक्रिया भी बहुत जटिल होती है और इसमें काफी पैसे भी खर्च होते हैं। इसके लिए कई तरह के डॉक्यूमेंट्स भी मांगे जाते हैं। वहीं हमारा समाज जेंडर चेंज कराने वालों पर कई तरह के सवाल भी उठाता है और उन्हें एक अलग ही नजरिए से देखा जाता है। भारत में जेंडर चेंज कराने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।
किसी भी शख्स चाहे वह महिला हो या पुरुष को जेंडर चेंज कराने की जरूरत तब पड़ती है जब उसके जन्म के लिंग से उसकी पहचान का कोई मेल नहीं होता है। जब उसे लगता है कि वह इस लिंग के साथ सहज महसूस नहीं कर रहा है। इसकी जरूरत तब पड़ती है जब किसी लड़के को लगता है कि वह लड़की जैसा महसूस कर रहा है या कोई लड़की लड़के जैसा महसूस करती है। ऐसे में वे अपना लिंग चेंज करवा सकते हैं। इसके लिए कानून इजाजत देता है। खबरों के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 5 हजार लोग अपना जेंडर चेंज करा रहे हैं। अब यह बहुत आम बात हो गई है। आईये जानते हैं दुनियाभर में इसके लिए कैसे अनुमति दी जाती है और क्या नियम हैं।
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कहा गया है रिपोर्ट में क्या
अंग्रेजी न्यूज़ वेबसाइट एनडीटीवी द्वारा छापी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ देशों में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए अपना चेंडर चेंज कराना यानी लिंग बदलना आसान कर दिया गया है, जबकि कुछ देशों ने इसपर बैन लगा दिया है। रूस और पाकिस्तान में इसपर प्रतिबंध है। इंटरनेशनल लेस्बियन एंड गे एसोसिएशन (आईएलजीए) के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र संघ के 24 सदस्य देशों ने कानूनी तौर पर लोगों को अपना लिंग बदलने की अनुमति दी है। वहीं करीब 40 देशों में इसके लिए कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया में बहुत अधिक समय लग सकता है।
वहीं रिपोर्ट के मुताबिक अर्जेंटीना ने 2012 से लिंग परिवर्तन की अनुमति दी है। इसके लिए राष्ट्रीय आईडी कार्ड की जरूरत होती है। कई दक्षिण अमेरिकी देश भी अर्जेंटीना के रास्ते पर चल रहे हैं। 2014 में डेनमार्क पहला यूरोपीय देश था, जिसने वयस्कों को चिकित्सा या मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के बिना लिंग परिवर्तन के लिए आवेदन करने की अनुमति दी थी, बेल्जियम, आयरलैंड, माल्टा, नॉर्वे, पुर्तगाल और हाल ही में स्पेन ने भी ऐसा ही किया है।
फ्रांस, स्कॉटलैंड, जर्मनी में
वहीं फ्रांस ने 2017 से ट्रांसजेंडर लोगों को बिना इलाज सर्जरी या नसबंदी के अपने आईडी डॉक्यूमेंट्स पर अपनी स्थिति बदलने की इजाजत दी है। हालांकि इसके लिए कोर्ट की मंजूरी लेनी जरूरी है। ट्रांस अधिकारों के मुद्दे को लेकर 2022 में स्कॉटलैंड में एक भयंकर विवाद शुरू हो गया। यहां की संसद ने एक विधेयक पारित किया जिससे लोगों के लिए अपने लिंग की खुद ही पहचान करना आसान हो गया, लेकिन इसे लंदन ने वीटो कर दिया। वहीं 2023 के अगस्त महीने में जर्मनी की कैबिनेट ने उन योजनाओं पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत वहां के लोग अपने स्थानीय रजिस्ट्री कार्यालय में एक साधारण आवेदन करके अपना नाम या कानूनी लिंग बदल सकेंगे। हालांकि यह कानून अभी संसद में नहीं गया है।
पाकिस्तान और रूस में
रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने जुलाई 2023 में नया कानून बनाया। उसने 'किसी व्यक्ति के लिंग को बदलने के मकसद से चिकित्सा हस्तक्षेप' और 'ऑपरेशन के बिना लिंग परिवर्तन रजिस्ट्रेशन' पर प्रतिबंध लगाने वाला नया कानून अपनाया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने भाषणों में बार-बार ट्रांसजेंडर अधिकारों के खिलाफ आवाज उठाई है। पाकिस्तान की धार्मिक कोर्ट ने मई में फैसला सुनाया कि 2018 से ऐतिहासिक ट्रांसजेंडर कानूनी सुरक्षा गैर-इस्लामिक है और इसलिए यह मान्य नहीं है। यहां इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की मांग की जा रही है। भारत और नेपाल की तरह पाकिस्तान भी तीसरे लिंग के अस्तित्व को मान्यता देता है।
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