Earthquakes in Japan : जापान में बीते दिनों कई भूकंप आए हैं जिनके चलते 40 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, कई इमारतों और सड़कों को नुकसान पहुंचा है और हजारों घरों में बिजली गुल हो गई है। नए साल के पहले ही दिन पश्चिमी जापान में 7.6 तीव्रता का तेज भूकंप आया था। इसकी तीव्रता को देखते हुए सुनामी की चेतावनी भी जारी की गई थी।
हालांकि, 2 जनवरी को सुनामी की चेतावनी वापस ले ली गई लेकिन चेतावनी दी गई है कि आने वाले दिनों में देश को और तेज भूकंप के झटकों का सामना करना पड़ सकता है। आम तौर पर जापान में हर साल लगभग 2000 भूकंप के झटके आते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि यहां इतने भूकंप क्यों आते हैं और इनसे बचने के लिए जापान कैसे तैयारी करता है?
क्यों आते हैं जापान में इतने भूकंप
जापान में बड़ी संख्या में भूकंप आने की वजह इसकी जियोग्राफिकल लोकेशन है। यह देश पैसिफिक रिंग ऑफ फायर के पास है जिसे पूरी दुनिया की सबसे सक्रिय भूकंप बेल्ट माना जाता है। रिंग ऑफ फायर प्रशांत महासागर में घोड़े की नाल की आकार का एक रास्ता है जिसमें कई सक्रिय ज्वालामुखी हैं। दुनिया के 90 प्रतिशत भूकंप इसी हिस्से में महसूस किए जाते हैं।
रिंग ऑफ फायर के अंदर कई टेक्टॉनिक प्लेट्स मूव करती हैं और टकराती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार धरती की सतह लगभग दर्जन भर बड़े टुकड़ों में बंटी हुई है जो इधर-उधर जाते रहते हैं। जापान चार विभिन्न प्लेट्स के जॉइंट पर मौजूद है। इसमें पैसिफिक प्लेट और फिलीपीन प्लेट उत्तर की ओर और नॉर्थ अमेरिका प्लेट व यूरेशियन प्लेट पश्चिम की ओर हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार फिलीपीन प्लेट और पैसिफिक प्लेट पश्चिम की ओर मूव कर रही हैं जिसकी वजह से यहां इतने भूकंप आते हैं। जापान कैबिनेट ने साल 2013 में आपदा प्रबंधन पर व्हाइट पेपर पेश किया था। इसमें पाया गया था कि दुनिया के करीब 20 प्रतिशत भूकंप जिनकी तीर्वता 6 या इससे अधिक है वो जापान में या देश के आस-पास महसूस किए जाते हैं।
बचने के लिए कैसे करता है तैयारी
प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए जापान कई वर्षों से तैयारी कर रहा है। जब भी यह देश तीव्र भूकंप का सामना करता है तो अपने नियमों को अपडेट करता है। यहां निर्माण के लिए सख्त नियम हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि इमारतें तेज भूकंप के झटके सह सकें। इसके अलावा इमरजेंसी ड्रिल्स भी अक्सर की जाती हैं ताकि लोग इसे लेकर पूरी तरह से तैयार रहें।
ब्लूमबर्ग की 2021 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार जापान ने प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए अपना निवेश काफी बढ़ाया है। यहां की सरकार पांच साल का की एक योजना अमल में लेकर आई थी जिसके तहत एंटी-डिजास्टर तैयारियों के हिस्से के तौर पर सड़कों, स्कूलों और एयरपोर्ट्स आदि के इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किया जाना शामिल है।
जापान में लाइसेंस्ड आर्किटेक्ट-इंजीनियर होते हैं जो 10 साल के लिए किसी इमारत के लिए जिम्मेदार होते हैं। साल 1981 में जापान ने यह अनिवार्य कर दिया था कि हर नई इमारत की में साइस्मिक आइसोलेशन सिस्टम होना चाहिए। इसके साथ ही यह भी जरूरी किया था इमारत की नींव में स्टील और रबर की परतें हों जो शॉक एब्जॉर्बर की तरह काम करती हैं।
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