Explainer: कितना खतरनाक है कोरोना वायरस का नया वैरिएंट JN.1, बचने के लिए क्या करें?
COVID 19 JN.1 Variant: देश पर कोरोना वायरस का खतरा एकबार फिर बढ़ने की आशंका है। कोविड के मामलों में तेजी देखी जा रही है। रविवार को देशभर में 335 नए मामले सामने आए हैं। देशभर में कोरोना के कुल एक्टिव केस 1700 से ज्यादा हो गए हैं। कोरोना से एक दिन में 5 लोगों की मौत भी हुई है। इसके साथ ही केरल में कोरोना वायरस का JN.1 वैरिएंट का एक मामला भी सामने आया है। यह इस वेरिएंट का देश का पहला मामला है। केरल की 79 साल की एक महिला में यह पाया गया है। इस महिला में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के लक्षण थे। इसके पहले भी उसे कोरोना हुआ था लेकिन वह इससे ठीक हो गई थी।
दुनिया में JN.1 वैरिएंट का पहला मामला यूरोपियान देश लग्जमबर्ग में पाया गया था। इसके बाद इंग्लैंड, आइसलैंड, फ्रांस, अमेरिका और चीन में कोरोना का यह सबवेरिएंट पाया गया। भारत में भी इसका पहला मामला पाए जाने से केंद्र और राज्य सरकारें अलर्ट पर हैं। अस्पतालों में तैयारियां की जा रही हैं। कई राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं की मॉक ड्रिल भी की गई।
नए वेरिएंट को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। सवाल यह भी है कि यह कितना खतरनाक है और क्या इसे लेकर हमें चिंता करनी चाहिए। वैज्ञानिकों के मुताबिक JN.1 वैरिएंट BA.2.86 का ही वंशज है। इसे 'पिरोला' भी कहा जाता है, जो ओमीक्रॉन से आया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के नए वेरिएंट से घबराने की जरूरत नहीं है। सावधानी बरतने से इससे बचा जा सकता है।
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कितना खतरनाक है यह
फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीपुल्स हेल्थ ऑर्गनाइजेशन-इंडिया और ऑर्गेनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड-ओएमएजी के महासचिव डॉ. ईश्वर गिलाडा ने यह भी कहा कि अब तक नए सबवेरिएंट JN.1 में गंभीर लक्षण सामने नहीं आए हैं। उन्होंने बताया कि इससे कोई मरीज गंभीर हालत में नहीं है और न ही किसी को आईसीयू में भर्ती होने की जरूरत है। इससे संक्रमित मरीजों को वेंटिलेटर या ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखने की जरूरत भी नहीं है।
सतर्क रहना है जरूरी
दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में चेस्ट मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. उज्ज्वल प्रकाश ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि सतर्क रहना बहुत जरूरी है, लेकिन इससे घबराने की जरुरत नहीं है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. निरोज मिशा ने भी कुछ ऐसी ही बात कही है। उन्होंने कहा कि जेएन.1 वेरिएंट एक हल्की बीमारी है। इसके लक्षण बहुत हल्के हैं और केवल 0.5 प्रतिशत लोगों को ही ज्यादा मदद की जरूरत है। वहीं मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने चीन के बीजिंग के रिसर्चर्स की रिपोर्ट के मुताबिक जेएन.1 वेरिएंट ज्यादा गंभीर नहीं है। लेकिन इससे एंटीबॉडी कम हो सकती है।
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