दिल्ली में 10 फैमिली कोर्ट्स को LG का मंजूरी; जानें क्या है ये सिस्टम और क्या है इनका मकसद?
हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कड़े निर्देश दिए हैं।
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली में 10 और फैमिली कोर्ट्स बनाने को मंजूरी दे दी है। इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में कुल 31 फैमिली कोर्ट्स हो जाएंगी। साथ ही इन फैमिली कोर्ट्स के प्रमुख के लिए 10 जजों के अलावा रीडर और स्टेनो समेत 71 अन्य पद सृजित किए जाएंगे। अब नई मंजूरी के फायदे पर बात करने से पहले यह जानना जरूरी होगा कि आखिर ये व्यवस्था है क्या?
विवाह और दूसरे घरेलू मामलों के लिए है खास प्रावधान
फैमिली कोर्ट्स एक्ट 1984 के अनुसार राज्य सरकारें विवाह और दूसरे पारिवारिक मामलों के संबंधित विवादों के शीघ्र निपटान को सुनिश्चित करने के लिए सुलह को बढ़ावा देने के मकसद से संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से फैमिली कोर्ट्स की स्थापना की जाती है। यह अधिनियम राज्यों के लिए हर शहर या कस्बे के लिए फैमिली कोर्ट्स बनाना अनिवार्य बनाता है, जिनकी आबादी दस लाख से अधिक है। अन्य क्षेत्रों में, यदि संबंधित सरकार आवश्यक समझे तो राज्य पारिवारिक न्यायालय बना सकते हैं।
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14वें वित्त आयोग ने 2015-2020 के दौरान उन जिलों में 235 फैमिली कोर्ट्स स्थापित करने की सिफारिश की जहां वे मौजूद नहीं थे। साथ ही, इसने राज्यों से इस उद्देश्य के लिए कर हस्तांतरण (32 प्रतिशत से 42 प्रतिशत) के माध्यम से उपलब्ध बढ़ी हुई राजकोषीय गुंजाइश का उपयोग करने का आग्रह किया। जुलाई 2023 तक, देश भर में 785 पारिवारिक अदालतें काम कर रही हैं।
दिल्ली की फैमिली कोर्ट्स में 46 हजार मामले लंबित
हालिया स्थिति की बात करें तो दिल्ली की फैमिली कोर्ट्स में लगभग 46 हजार मामले लंबित हैं, जिनमें रोहिणी फैमिली कोर्ट में सबसे अधिक 3654 मामले लंबित हैं और सबसे कम साकेत में 1321 हैं। द्वारका में फैमिली कोर्ट्स मुख्यालय के आंकड़ों के अनुसार रोज ऐसे लगभग 150-200 मामले दर्ज किए जाते हैं और इन अदालतों में दूसरे विभागों से डेपुटेशन पर लगाए गए लगभग 80 प्रतिशत कर्मचारी काम कर रहे हैं।
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फैमिली कोर्ट्स की स्थापना का मुख्य उद्देश्य
एक विशेष अदालत बनाना, जो केवल पारिवारिक मामलों से निपटेगी। ऐसी अदालत के पास इन मामलों को शीघ्रता से निपटाने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता होगी। इस प्रकार, पारिवारिक न्यायालय बनाने में विशेषज्ञता और अभियान दो मुख्य कारक हैं। एक ऐसा तंत्र बनाना जो परिवार से संबंधित विवादों को सुलझा सके। पारिवारिक समस्याओं का सस्ता समाधान प्रदान करना और कार्यवाही के संचालन में अनौपचारिक और लचीला माहौल बनाना।
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