TrendingIPL 2025Maharashtra Assembly Election 2024Jharkhand Assembly Election 2024Chhath Puja

---विज्ञापन---

Explainer: दिल्ली NCR का एक गांव, जहां हर तीसरे घर में है एक कैंसर पेशेंट; जानें कैसे एक समस्या का हल बना दूसरी की वजह

Delhi-NCR village Bandhwari Problem: एक की सुविधा दूसरे की दुविधा कैसे बनती है, इस बात का जीता-जागता उदाहरण है दिल्ली एनसीआर में पड़ता हरियाणा का साढ़े चार हजार की आबादी वाला गांव। यहां जमा होते गुरुग्राम महानगर के कचरे ने हर तीसरे घर में एक कैंसर पेशेंट और बीमार संतानें दी हैं।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) को देश के बाकी हिस्सों की तुलना में ज्यादा सुविधाओं वाला माना जाता है, लेकिन यहां सुविधा ही दुविधा बनती जा रही है। बात हो रही है, अरावली की तलहटी में बसे गुरुग्राम-फरीदाबाद हाईवे पर पड़ते गुरुग्राम जिले के गांव बंधवाड़ी की। यहां कचरे का पहाड़ दूर से ही नजर आ जाता है। यह एक ओर कचरा निस्तारण की समस्या के समाधान की कहानी कहता नजर आता है, वहीं इसकी वजह से एक दूसरी समस्या भी पैदा हो गई है। हालांकि इसके निराकरण की दिशा में भी काम हो रहा है, लेकिन हालिया स्थिति में यहां जीवन संकट में है। हालत इतनी बदतर है कि लगभग साढ़े चार हजार की आबादी हर तीसरे घर में कैंसर का एक पेशेंट मिल जाएगा। आज हम इसी विकराल समस्या पर विस्तार से बात करेंगे। औलाद भी बीमार पैदा हो रही गुरुग्राम निगम के कचरे को समेटते गांव बंधवाड़ी में कैंसर से जूझ रहे गांव के सतपाल कहते हैं, 'मुझे लगता है कि कूड़े के पहाड़ से बहने वाले लीचेट के कारण मैं कैंसर से पीड़ित हूं। मैं नहीं चाहता कि जो मैं झेल रहा हूं उसका सामना कोई और करे'। इसी तरह संजय हरसाना और अन्य लोगों ने कहा कि वो लंबे समय से यहां गांव के बाहर स्थित लैंडफिल साइट के मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन प्रशासन इस दिशा कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। हालात इतने बुरे हो चले हैं कि अब तो पैदा होने वाली औलादें भी गंभीर बीमारियों के साथ दुनिया में आने लग गई हैं। अब बात आती है कि लीचेट आखिर होता क्या है? इस सवाल का जवाब है गीले कूड़े से निकलने वाला एक तरल जहरीला पदार्थ। यह जमीन में रिस जाता है तो नीचे का पानी पीने श नहाने लायक नहीं रह जाता। ऐसे में लीचेट के निपटान पर काम करना बेहद जरूरी पहलू है। लगभग पौने दो साल पहले जब बारिश के बीच लैंडफिल साइट पर बनाई गई चारदीवारी टूट गई थी तो यहां भारी मात्रा में बारिश का पानी और लीचेट जमा हो गया था। बाद में मौसम लगातार खराब रहने की वजह से दीवार को दोबारा बनाने में देर हुई। इसको लेकर गांव के लोग रोष प्रदर्शन पर उतर आए थे तो कचरा प्रबंधन करने वाली कंपनी इको ग्रीन एनर्जी के प्रतिनिधि संजीव शर्मा की तरफ से इस समस्या के निराकरण की दिशा में गुरुग्राम नगर निगम का सहयोग करने की बात कही गई थी। इसी के साथ नगर निगम के एक्सईएन सुंदर श्योराण ने भी लीचेट की समस्या को दूर करने के आदेश दिए जाने और बायोरेमेडिएशन तकनीक से पुराने कूड़े के निपटान का भरोसा दिया था। बावजूद इसके यहां समस्या कम होने की बजाय और बढ़ गई। Explainer में पढ़ें: इंटर स्टेट ट्रांसमिशन लाइन को केंद्र से मंजूरी; लद्दाख की कैसे मदद करेगा 2.5 अरब डॉलर का प्रोजेक्ट? अप्रैल 2024 तक कूड़े के पहाड़ खत्म करने का दावा कर रहा नगर निगम यहां लोग कचरे से निजात दिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हैं। बहुत बार बड़े-बड़े अधिकारी और नेता भी यहां का दौरा करते हैं, मगर बावजूद इसके गांव के हालात बरसों से बिगड़ते ही जा रहे हैं। गांव की समस्या को लेकर बीते दिनों गुवाहाटी स्थित आईआईटी की टीम ने अपने सर्वे में बंधवाड़ी में कचराप्रबंधन के दावे के बावजूद 22 लाख टन कचरा होने का खुलासा किया था।अब सितंबर के आखिरी सप्ताह में नगर निगम के अधिकारियों की तरफ से दावा किया गया है कि अप्रैल 2024 तक बंधवाड़ी से कूड़े के इस पहाड़ को खत्म कर दिया जाएगा। निगम के एक्सईएन विशाल गर्ग ने जनवरी 2023 से 20 सितंबर तक करीब 14 लाख टन कचरे का निस्तारण कर चुके होने की जानकारी दी, वहीं कहा था कि अगले छह महीने में यहां से 15 लाख टन कचरा और उठा लिया जाएगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके बाद यहां करीब छह-लाख टन कचरा ही बचेगा। Explainer: इजरायल में छिड़ी जंग का लेबनान से क्या है कनेक्शन? क्यों इस देश को छोड़ने पर दिया जा रहा जोर? बंधवाड़ी के पानी में शीशा तय सीमा से 120 गुणा और कैडमियम 10 गुणा ज्यादा इसी बीच सोशल मीडिया पर एक लैब रिपोर्ट खूब वायरल हो रही है। मीडिया संस्थान न्यूज 18 की तरफ से नोएडा स्थित ITS लैबोरेटरी में कराए गए बंधवाड़ी के भूमिगत जल की टेस्टिंग में बड़ा ही चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। परीक्षण करने वाले लैब के कर्मचारी विकास कुमार की मानें तो यह पानी IS: 10500:2012 के सर्टिफिकेशन की शर्तों पर खरा नहीं उतरा। परीक्षण के परिणामों के अनुसार पानी में शीशा तय सीमा से 120 गुणा और कैडमियम 10 गुणा ज्यादा है। इसी के साथ यहां के ग्रामीणों की तरफ से प्रशासन की तरफ से लिए गए पानी के सैंपलों पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ सैंपल लेने के अलावा दूसरा कोई ठोस कदम प्रशासन ने यहां के पानी की समस्या के समाधान के लिए नहीं उठाया है। कुल मिलाकर यहां कचरे का पहाड़ ही गांव के जीवन पर मंडरा रहे खतरे का एकमात्र कारण है और इसका निस्तारण किए जाना बेहद जरूरी है।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.