Explainer: भारतीय एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में क्यों भेजना चाहता है अमेरिका? इतिहास में पहली बार
America NASA send Indian Astronaut to space by 2024: भारत आए नासा चीफ बिल नेस्लस (Bill Nelson) ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका 2024 में एक भारतीय नागरिक को अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार है। बता दें कि नासा पहली बार एक भारतीय नागरिक को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भेजेगा। यह इतिहास में पहली बार होने जा रहा है। नासा इसके लिए भारतीय एस्ट्रोनॉट को ट्रेनिंग भी देगा। अमेरिका ने एक बड़ा ऐलान यह भी किया है कि नासा भारत को अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में मदद करेगा। विल नेस्लस पहली बार भारत की यात्रा पर आए हैं। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह से मुलाकात की है। भारत यात्रा पर आए नासा प्रमुख भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के विद्वानों से मिल रहे हैं।
गौरतलब है कि भारत के राकेश शर्मा 1984 में स्पेस मिशन पर जा चुके हैं। उनको यूएसएसआर ने स्पेस में भेजा था। स्पेस में जाने वाले वे पहले भारतीय हैं। बताया जा रहा है कि भारत 2035 तक अपना खुद का एक स्पेस स्टेशन तैयार कर लेगा। भारत 2040 तक अपनी तकनीक से एक भारतीय को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी भी कर रहा है। बता दें कि भारत इस समय गगनयान मिशन के लिए एस्ट्रोनॉट को ट्रेनिंग भी दे रहा है।
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स्पेस में सहयोग की वजह
भारत की स्पेस इंडस्ट्री भी लगातार बढ़ रही है और इसका बजट 2040 तक 40 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है। अमेरिकी कंपनियां इससे भारत में बड़ा बिजनेस भी करेंगी, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ेगा और संबंध मजबूत होंगे। यह भारत अमेरिका दोस्ती को और मजबूती देगा।
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क्या कहा नासा के चीफ ने
एक्स पर एक पोस्ट में नासा चीफ ने कहा कि, भारत में लैंडिंग! आगे बढ़ने के लिए एक सप्ताह की आकर्षक बैठकों और आयोजनों के लिए तैयार हूं। नासा के साथ इसको की साझेदारी। भारत अंतरिक्ष में अग्रणी है और हम एक सार्थक यात्रा की आशा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत नासा के लिए एक महान भागीदार है। नासा 2040 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में भारत की मदद करेगा। बिल नेल्सन ने कहा है कि अमेरिका और भारत मिलकर 2024 के अंत तक भारतीय एस्ट्रोनॉट को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station - ISS) में भेजने की प्लानिंग कर रहे हैं।
ज्वाइंट सैटेलाइट होगा लॉन्च
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन धरती से 400 किलोमीटर की उंचाई पर है। इसे अमेरिका, रूस, जापान समेत कई देशों की मदद से बनाया गया है। इसे बनाने में 100 बिलियन डॉलर खर्च किए गए हैं। नासा और इसरो मिलकर सैलेटलाइट भी लॉन्च करेंगे। 2024 की पहली तिमाही में नासा और इसरो का ज्वाइंट सैटेलाइट NISAR भी लॉन्च किया जाना है। बता दें कि अमेरिका इसके पहले कई देशों के एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेज चुका है। इसकी वजह है कि ये देश अमेरिका के साथ मिलकर अंतरिक्ष के मामले पर सहयोग कर रहे हैं।
जा चुके हैं इन देशों के एस्ट्रोनॉट
अभी तक अमेरिका के 153 एस्ट्रोनॉट्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जा चुके हैं। इसके बाद रूस, जापान, इटली और जर्मनी का नंबर आता है। भारत इस मामले में इजराइल, ब्राजील, मलेशिया , साउथ अफ्रीका, साउथ कोरिया, स्पेन और यूएई जैसे देशों से भी पीछे है।
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