Subhash Ghai on Karma's Child, (अश्विनी कुमार): इन दिनों गोवा में 55वां इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (IFFI 2024) चल रहा है। सिनेप्रेमियों के लिए ये इवेंट बेहद खास होता है और इसमें फिल्मी दुनिया के तमाम सितारे भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। इस इवेंट में News24 की टीम भी मौजूद है और वहां जाने वाले सेलेब्स से कुछ एक्सक्लूसिव बातें कर रही है, जो हम आपके बता रहे हैं। हाल ही में News24 की टीम ने मशहूर एक्टर और डायरेक्टर सुभाष भई से बात की और इस दौरान सुभाष ने अपनी किताब 'Karma's Child' के बारे में बेहद हैरानी वाली बात बताई है।
सुभाष घई की ऑटो-बायोग्राफी नहीं Karma's Child
दरअसल, जबसे ये बुक आई है, सभी को लग रहा है कि ये सुभाष घई की ऑटो-बायोग्राफी है, लेकिन ऐसा नहीं है। जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा कि 'Karma's Child' भले ही सुभाष घई ने लिखी है, लेकिन ये उनकी ऑटो-बायोग्राफी नहीं है। इस बारे में बात करते हुए सुभाष ने News24 से कहा कि मैं आपको बता देता हूं कि 'Karma's Child' मेरी ऑटो-बायोग्राफी नहीं है।
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क्यों लिखी Karma's Child?
उन्होंने आगे कहा कि वो मेरा वो स्ट्रगल है, वो तकलीफें हैं, जो मैंने फिल्में बनाते हुए सही हैं। उन फिल्मों को बनाने के लिए मैंने जो कोशिशें की, उन सबके बारे में कहानियां हैं। मैंने 18 फिल्में बनाई हैं, जिनमें-से 14 फिल्में सुपरहिट रही हैं, उन सबके पीछे की कहानी है, ताकि बच्चों को इंस्पिरेशन मिले कि जिंदगी में सफल होने के लिए फेलियर का होना भी जरूरी है।
'Karma's Child' ही टाइटल क्यों?
उन्होंने कहा कि फेलियर को आप जब भी संपत्ति बनाएंगे, एसेट बनाएंगे, तो वो ही फेलियर आपकी कामयाबी का कारण बनेगा और ये फेलियर का थीम है। इसके बाद उन्होंने कहा कि जब 'Karma's Child' लिखते हैं, तो मैंने उनसे कहा कि 'Karma's Child' ही टाइटल क्यों रखा, तो उन्होंने कहा कि क्योंकि आपने अपनी बिगड़ी हुई तकदीर को भी अपनी कर्मों से बदल दिया।
बच्चों को निराश होने की जरूरत नहीं- सुभाष
सुभाष ने कहा कि मैं भी समझता हूं कि कर्मा से इंसान कुछ भी बदल सकता है। कभी भी बच्चों को निराश होने की जरूरत नहीं है, वो फेल हो जाए या मुश्किलें आ जाएं या फिर उनको सपोर्ट नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि सब फिल्मों जैसे कालीचरण, कर्ज, हीरो, कर्मा, राम-लखन, सौदागर, परदेश सबके बारे में 'Karma's Child' में हैं।