TrendingValentine WeekMaha Kumbh 2025Delhi Assembly Elections 2025Ranji TrophyIND vs ENGChampions Trophy 2025

---विज्ञापन---

Gulmohar Review: ओटीटी के गुलदस्ते में ‘गुलमोहर’ का ख़ूबसूरत फूल, शर्मिला, मनोज वाजपेयी की अदाकारी ने जीता दिल

Gulmohar Review, (अश्विनी कुमार): गुलमोहर का फूल दिखने में बहुत ख़ूबसूरत भले ही लगे, लेकिन बिखरना उसकी नियति होती है। गुलमोहर को कभी मंदिर में नहीं चढ़ाया जाता। डिज़नी हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई ‘गुलमोहर’ भी एक ऐसे ही परिवार की कहानी है, जहां परिवार गुलमोहर की तरह ख़ूबसूरत और ख़िला-खिला है, मगर बिखरने की ओर […]

Gulmohar Review, (अश्विनी कुमार): गुलमोहर का फूल दिखने में बहुत ख़ूबसूरत भले ही लगे, लेकिन बिखरना उसकी नियति होती है। गुलमोहर को कभी मंदिर में नहीं चढ़ाया जाता। डिज़नी हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई ‘गुलमोहर’ भी एक ऐसे ही परिवार की कहानी है, जहां परिवार गुलमोहर की तरह ख़ूबसूरत और ख़िला-खिला है, मगर बिखरने की ओर बढ़ रहा है।

क्या है गुलमोहर?

गुलमोहर अपनी सी एक फिल्म है, जो आपको बहुत ज़्यादा एंटरटेनिंग भले ही ना लगे, लेकिन ये ज़रूर लगेगा कि इस कहानी में कुछ अपना-अपना सा है, ज़िंदगी को ज़रा दूसरे ही तरीके से देखना सिखाती है गुलमोहर।

---विज्ञापन---

गुलमोहर की कहानी

दिल्ली के पॉश इलाके में बने गुलमोहर विला का मुकद्दर अब मल्टीस्टोरी अपॉर्टमेंट में बदल जाना है। अपने पति के बनाए गुलमोहर विला को कुसुम बत्रा ने बेच दिया है। मां के इस फैसले से अरुण को बेचैनी भले हो, लेकिन वो टालता नहीं है।

---विज्ञापन---

हां, उसे ये फिक्र सताए जा रही है कि उसका बेटा आदित्य, अब गुरुग्राम के नए पेंटहाउस में उसके साथ नहीं, बल्कि अपनी पत्नी के साथ अलग रहना चाहता है। जिस दिन घर शिफ्ट होना है, उसके सिर्फ़ एक रात पहले कुसुम पूरे परिवार पर एक और बम फोड़ती है कि गुलमोहर विला के बाद वो परिवार के साथ नहीं… बल्कि पुडुचेरी में रहने जा रही है, जहां उन्होने एक छोटा सा घर खरीदा है और वो चाहती है कि होली तक फैमिली गुलमोहर विला में ही रहे… और इस त्यौहर के बाद ही परिवार के रास्ते अलग-अलग हों।

एक 78 साल की महिला, जो ये मानती है कि अपनी पूरी ज़िम्मेदारियां निभाने के बाद, अब उसे अपने लिए जीना है। एक 50 पार कर चुका बेटा, जो दो बच्चों का पिता भी है… वो अपने परिवार को जोड़े रखना चाहता है, वो मां की बात सिर झुका के मानता है और बच्चों से यही उम्मीद करता है… मगर ऐसा होता कहां है।

यहां देखें गुलमोहर का ट्रेलर

रिश्ते जुड़ते हैं, उलझते हैं, सुलझते हैं, बिल्कुल ज़िंदगी जैसे

इस बीच में कुसुम का एक देवर भी है, जो परिवार के टूटने का ज़िम्मेदार हमेशा अपनी भाभी को मानता है। उसे ऐतराज़ है कि एक ही पार्टी में बैठकर मां, बेटा, बहू, पोता-पोती सब शराब कैसे पी सकते हैं? गुलमोहर के फूल की तरह, कई सारी पंखुड़ियों जैसी कहानी से जुड़कर, गुलमोहर फिल्म बनी है, जिसमें मां-बेटे की अलग कहानी है, दादी और-पोती की अलग कहानी, बाप-बेटे की अलग, बेटे और बहू की अलग कहानी… और ये सारी कहानियां, ये सारी रिश्ते जुड़ते हैं, उलझते हैं और सुलझते हैं, बिल्कुल ज़िंदगी जैसे।

गुलमोहर: एक परफेक्ट ओटीटी फैमिली फिल्म

डायरेक्टर मीरा नायर के असिस्टेंट रहे राहुल चितेला ने इस कहानी को अर्पिता मुखर्जी के साथ मिलकर लिखा और फिर इसे डायरेक्ट किया। गुलमोहर आपको एंटरटेन करने का वायदा नहीं करती, लेकिन दिल-ओ-दिमाग़ को ऐसे अहसास से भर देती है, जहां रिश्तों और परिवार की अहमियत तो है ही, लेकिन उसमें खुद की आज़ादी का भी एक अहसास है। राहुल चितेला की ये एक परफेक्ट ओटीटी फैमिली फिल्म है।

शर्मिला, मनोज का लाजवाब अभिनय

शर्मिला टैगोर ने एक दशक के बाद भी किसी फिल्म में काम किया है। कुसुम बत्रा के किरदार में शर्मिला टैगोर को देखकर आपको अहसास होता है कि क्लासिक किसे कहते हैं। मनोज वाजपेयी के हिलते हुए हाथ, कांपता हुआ शरीर, अरुण के किरदार जैसा ही बन जाना, बताता है कि उन्हे इस दौर के सबसे काबिल कलाकारों में यूं ही नहीं गिना जाता। बत्रा परिवार में सिमरन को मां के किरदार में देखना, जैसे घने कोहरे के बीच उम्मीद की रौशनी देखना….कमाल का काम है उनका। आदित्य के किरदार में सूरज शर्मा ने भी बहुत अच्छा काम किया है।

गुलमोहर: 4*

(Xanax Online)


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.