दक्षिण भारतीय सिनेमा के दिग्गज निर्देशक शाजी एन करुण ने 73 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। रविवार को तिरुवनंतपुरम में अपने आवास पर उनका निधन हो गया। बताया जा रहा है कि वो काफी समय से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर ने पूरी साउथ इंडस्ट्री और उनके फैंस को गहरे सदमे में डाल दिया है। सोशल मीडिया पर फिल्मी सितारे और फैंस भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
कैंसर से पीड़ित थे डायरेक्टर
भारतीय सिनेमा का एक चमकता सितारा माने जाने वाले शाजी एन करुण लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। इलाज के बाद भी जब तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें उनके घर वापस लाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर सामने आते ही पूरे मलयालम फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
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शाजी एन करुण के बारे में
केरल के कोल्लम जिले में 1 जनवरी 1952 को जन्मे शाजी एन करुण ने अपनी फिल्मों के जरिए भारतीय सिनेमा को एक नई पहचान दी। उनकी पहली फिल्म 'पिरवी' ने ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई थी। इस फिल्म ने 1989 में कान्स फिल्म फेस्टिवल में कैमरा डी'ओर का उल्लेखनीय सम्मान भी हासिल किया था। इसके बाद 'स्वाहम' और 'वानप्रस्थम' जैसी कलात्मक फिल्मों ने उन्हें दुनिया भर में सराहना दिलाई।
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शाजी एन करुण सिर्फ एक निर्देशक नहीं थे, बल्कि उन्होंने भारतीय सिनेमा संस्कृति को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वो केरल राज्य चलचित्र अकादमी के संस्थापक अध्यक्ष रहे, जो देश की पहली फिल्म अकादमी थी। इसके साथ ही वो कई सालों तक केरल अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFK) के भी कार्यकारी अध्यक्ष रहे।
नेशनल अवॉर्ड जीत चुके फिल्ममेकर
उनकी उपलब्धियों की सूची भी बेहद लंबी है। 'पिरवी', 'वानप्रस्थम' और 'कुट्टी स्रन्क' जैसी फिल्मों के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें हाल ही में 2023 का जे सी डैनियल पुरस्कार भी प्रदान किया गया था, जो केरल सरकार का सर्वोच्च फिल्म सम्मान है।
उनके निधन के बाद, उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार थाइकौड के संतिकावदोम में किया जाएगा। अपने पीछे वो पत्नी अनसूया देवकी वारियर और दो बेटे अप्पू और अनिल को छोड़ गए हैं।
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