Miss Universe 2023: मिस यूनिवर्स के खिताब के लिए सभी लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मगर इस साल भी भारत के हाथ निराशा ही लगी है। मिस निकारगुआ के सिर इस बार का ताज सजा है। भारत की बात करें तो मिस इंडिया यूनिवर्स श्वेता शारदा से सभी को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन वह टॉप-10 में भी जगह नहीं बना सकीं।
इस कॉम्पटीशन में भारत की ओर से शारदा देश का प्रतिनिधित्व कर रहीं थीं। तमाम कंटेस्टेंट्स को हराने के बाद श्वेता ने टॉप 20 लोगों की लिस्ट में अपनी जगह बनाई थी। टॉप 10 लोगों के फाइनल राउंट की लिस्ट सामने आई तो उसमें में भारत का नाम नहीं था। श्वेता शारदा फाइनल राउंड के लिए बीट नहीं कर पाईं और इसी के साथ एक बार फिर भारत का मिस यूनिवर्स (Miss Universe 2023) बनने का सपना चकनाचूर हो गया। टॉप 3 में थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया और निकारागुआ की मॉडल्स ने जगह बना ली। इनमें मिस निकारगुआ ने मिस यूनिवर्स का खिताब अपने नाम किया।
भारत और पाकिस्तान दोनों हुए बाहर
बता दें कि स्विमसूट प्रतियोगिता के बाद टॉप 10 फाइनलिस्टों की घोषणा कर दी गई। बोल्ड ग्लिटर स्विमसूट में भारत की श्वेता शारदा और बुर्किनी में पाकिस्तान की एरिका रॉबिन गाउन प्रतियोगिता में आगे बढ़ने के लिए स्विमवीयर चरण के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई हैं। श्वेता शारदा के अलावा अगर पाकिस्तानी मॉडल की बात करें तो पाकिस्तान की एरिका रॉबिन ने अपने धर्म और देश की मान्यताओं का सम्मान करने के लिए नॉर्मल बिकनी के बजाय पूरी तरह से ढके हुए हल्के गुलाबी रंग के ढीले गाउन में स्विमसूट प्रतियोगिता में पहुंचीं।
यह भी पढ़ें: Miss Universe 2023 की पहली प्लस साइज मॉडल बनीं नेपाल की Jane Dipika, जानें इनके बारे में सबकुछइससे पहले हरनाज के सिर सजा था ताज
बता दें कि भारत के नाम यह ताज साल 2021 में हरनाज संधू के सिर सजा था। इसके बाद से पिछले दो साल से भारत इस खिताब को जीतने में चूक रहा है। इस साल भारत की श्वेता शारदा से ताज की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन फाइनल राउंड के लिए वह भी क्वालीफाई नहीं कर पाई हैं। हरनाज संधू से पहले साल 2000 में लारा दत्ता ने इस ब्यूटी पेजेंट को जीता था।
सबसे पहली विजेता थीं सुष्मिता सेन
वहीं सबसे पहले सुष्मिता सेन ने इस खिताब को अपने नाम किया था। सुष्मिता सेन ने फिलीपींस के मनीला में आयोजित मिस यूनिवर्स 1994 प्रतियोगिता में भारत के लिए खिताब जीता था। 21 मई 1994 को उन्हें मिस यूनिवर्स का ताज पहनाया गया और उन्होंने यह प्रतिष्ठित खिताब हासिल करने वाली पहली भारतीय बनकर इतिहास रच दिया। ये जीत इसलिए भी बड़ी थी क्योंकि इससे पहले किसी भी भारतीय ने ये खिताब अपने नाम नहीं किया था।