सिनेमाघरों में 100 दिनों तक छाई रहीं थीं Puneeth की 14 फिल्में, दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से हुए थे सम्मानित
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Puneeth Rajkumar Death Anniversary: पुनीत राजकुमार कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री का बड़ा नाम हैं, भले ही आज वह हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी फैंस के दिलों में जिंदा हैं। पुनीत ने की बरस कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में राज किया है, फैंस के बीच भी उनकी खासतौर से दीवानगी देखी जाती थी। पुनीत का जलवा लोगों में इस कदर था कि जब अभिनेता का निधन हुआ तो फैंस को लेकर कर्नाटक की सरकार को हालात को काबू करने के लिए कई इलाकों में धारा 144 लागू करनी पड़ी। आज अभिनेता की पुण्यतिथि है, तो चलिए आपको अभिनेता के बारे में कुछ खास बातें बताते हैं।
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चाइल्ड एक्टर के तौर कीं 12 फिल्में
चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाले पुनीत राजकुमार ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता है। वह अभिनेता के साथ-साथ एक गायक भी थे। उन्होंने साल 2002 में आई फिल्म अप्पु से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। वो 29 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय कर चुके थे। पुनीत ने चाइल्ट एक्टर के तौर पर 12 फिल्मों में काम किया, जिसमें फिल्म 'बेट्टद हूवु' के लिए उन्हें बेस्ट चाइल्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला।
100 दिनों तक सिनेमाघरों में लगी थीं फिल्में
पुनीत को 'आकाश' (2005), 'आरसु' (2007), 'मिलन' (2007) और 'वंशी' (2008) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय के लिए जाना जाता है, जो अभी तक उनकी सबसे बड़ी कॉमर्शियल हिट हैं। पुनीत को 'आरसु' के लिए कई अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। यह उनकी सबसे ज्यादा हिट फिल्मों में से एक है। पुनीत की दीवानगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक बार उनकी एक के बाद एक 14 फिल्में करीब 100 दिनों तक सिनेमाघरों में छाई रही थीं।
पिता का हुआ था अपहरण
पुनीत को कन्नड़ सिनेमा का आइकन माना जाता था। वो पहले ऐसे कन्नड़ इंडस्ट्री के अभिनेता थे जिन्हें दादा साहब फाल्के अवॉर्ड मिला था। चंदन तस्कर वीरप्पन ने उनके पिता राजकुमार का साल 2000 में अपहरण कर लिया था।
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