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जन्मे पाकिस्तान में, नाम ‘भारत कुमार’ कैसे? मनोज कुमार के 3 नाम की रोचक कहानी

मनोज कुमार का असली नाम कुछ और था। उन्होंने अपना नाम क्यों बदला और बाद में उन्हें 'भारत कुमार' क्यों कहा जाने लगा? इसके पीछे बेहद मजेदार कहानियां हैं।

Manoj Kumar File Photo
बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर मनोज कुमार ने आज सुबह 3:30 बजे मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली है। एक्टर के निधन से एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। बॉलीवुड सेलेब्स और टीवी दुनिया के सितारे इस वक्त मनोज कुमार के निधन का मातम मना रहे हैं। फैंस भी एक्टर को याद कर दुखी हैं। आज हर कोई बस मनोज कुमार की ही बातें कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं मनोज कुमार का असली नाम मनोज है ही नहीं?

मनोज कुमार का क्या था असली नाम?

उनके 3 नामों की एक बेहद ही दिलचस्प कहानी है। उनके एक नहीं बल्कि 3 नाम हैं और एक नाम तो उन्हें अपने फैंस से ही मिला है। अब 3 नाम की ये रोचक कहानी क्या है? और वो पाकिस्तान से होने के बावजूद 'भारत कुमार' क्यों कहलाते हैं? ये सब आपको इस रिपोर्ट में पता चलेगा। अब उनके नाम का ये फंडा अगर आपको समझना है तो सब कुछ शुरू से ही जानना पड़ेगा। आपको बता दें, मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी था। उनका जन्म एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी कैसे बने मनोज कुमार?

हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी उर्फ मनोज कुमार पाकिस्तान से थे। जब उनकी उम्र 10 साल थी, तब वो अपने परिवार के साथ विभाजन के कारण जंडियाला शेर खान से दिल्ली आ गए थे। इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाई। हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी उस वक्त एक्टर दिलीप कुमार के फैन हुआ करते थे। जब हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी ने साल 1949 में आई दिलीप कुमार की फिल्म 'शबनम' देखी तो वो इतने इम्प्रेस हो गए कि उन्होंने फिल्म में दिलीप का जो नाम था, उससे अपना नाम बदल लिया। यानी हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी ने दिलीप का स्क्रीन नेम लेकर मनोज कुमार बन गए।

मनोज कुमार क्यों कहलाते हैं भारत कुमार?

इसके बाद जब उन्होंने फिल्मों में काम शुरू किया तो उन्हें छोटे-मोटे रोल ही मिलते थे। फिल्म 'फैशन' में उन्होंने भिखारी का रोल किया था। इसके बाद उन्हें 'कांच की गुड़िया' से बतौर लीड एक्टर काम करने का मौका मिला। फिर उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर भी कमाल करने लगीं। उन्हें असली स्टारडम तब मिला, जब मनोज कुमार ने देशभक्ति वाली फिल्म करना शुरू किया। 'शहीद' में काम कर उन्हें खूब वाहवाही मिली थी। सामाजिक मुद्दों पर बनी फिल्मों से उन्होंने देश की कई समस्याओं को उजागर किया। यह भी पढ़ें: मनोज कुमार अपने पीछे छोड़ गए कितनी प्रॉपर्टी? नेट वर्थ रिवील

लोगों को आज भी याद हैं ये गाने और नारे

‘क्रांति’, ‘उपकार’ और ‘पूरब और पश्चिम’ में भी मनोज कुमार आम आदमी की बात रखते नजर आए। उनकी इन्हीं फिल्मों के कारण उन्हें 'भारत कुमार' का टाइटल मिला था। ‘महंगाई मार गई’ और ‘है प्रीत जहां की रीत सदा’ जैसे गानों से मनोज कुमार ने राष्ट्रवाद को दर्शाया है। 1970 में आई फिल्म 'पूरब और पश्चिम' के गाने 'भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं' को भी लोग भुला नहीं सकते। उनका नारा 'मांग रहा है हिंदुस्तान रोटी, कपड़ा और मकान' खूब फेमस हुआ था।


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