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Ajey: The Untold Story Of A Yogi Review: ईमानदारी और त्याग को दिखाती है फिल्म, पढ़ें रिव्यू

Ajey: The Untold Story Of A Yogi Review: डायरेक्टर रवीन्द्र गौतम की फिल्म 'अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी' का रिव्यू यहां पढ़ सकते हैं. ये एक कमाल की फिल्म है, जो सादगी और ईमानदारी से भरी है. पढ़ें अश्विनी कुमार का रिव्यू...

Ajey: The Untold Story Of A Yogi का हिंदी रिव्यू. image credit- social media

Ajey: The Untold Story Of A Yogi Review: बायोपिक बायोपिक और बायोपिक… फिलहाल जहां फिल्म इंडस्ट्री ऑडियंस की चॉइस ऑफ फिल्म्स की रूह पकड़ने में लगी है. वहीं, उनका ऑडियंस के लिए फिल्में बनाने की भी होड़-सी लगी है. हिंदी, बंगाली, पंजाबी फिल्में हो या साउथ की फिल्में बड़े से बड़े सितारे भी आजकल जीवनियां उठाकर फिल्में बनाने में लगे हुए हैं.

पॉलिटिक्स और सिनेमा का रिश्ता

'शिद्दत' हो या 'केसरी 2' या बात करें 'इमरजेंसी' या 'ताली' की. ये एक्टर्स मशहूर या गुमनाम हस्तियों पर फिल्म बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी कुछ ऐसे ही देखने मिल रहा है. वैसे पॉलिटिक्स और सिनेमा का रिश्ता बड़ा पुराना रहा है. कभी राजनेता खुद सिनेमा में आते हैं, तो कभी डायरेक्टर उन पर फिल्म बना देते हैं, लेकिन इस बार मामला कुछ और है.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कहानी

डायरेक्टर रवीन्द्र गौतम ऐसी ही एक फिल्म लेकर आ रहे हैं 'अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी'. शांतनु गुप्ता की किताब “द मोंक हु बिकेम अ चीफ मिनिस्टर” पर बेस्ड इस फिल्म में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कहानी दिखाई गई है. एक्टर अनंत जोशी इस फिल्म में बतौर योगी जी की भूमिका अदा करते नजर आ रहे हैं. आखिर कैसी है ये फिल्म इसके लिए आप फिल्म का रिव्यू पढ़ सकते हैं.

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योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने से पहले की जर्नी

लगभग 2 घंटे 30 मिनट की इस फिल्म में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले की जर्नी दिखाई गाई है. जहां साल 1984 में पूर्वांचल के बाहुबलियों का आपस में गैंगवॉर चल रहा था. वहीं, उत्तरप्रदेश के पौड़ी गढ़वाल (अब उत्तराखंड) के फारेस्ट रेंजर आनंद सिंह बिष्ट के छोटे बेटे अजेय मोहन सिंह बिष्ट (अनंत जोशी) हेमवती नंदन बानहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी (उत्तराखंड) से अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे थे.

अजेय बना योगी आदित्यनाथ

कॉलेज में ही उनकी मुलाकात गोरखनाथ मठ के पीठाधीश महंत अवैद्यनाथ से होती है. अजेय उनकी बातों से प्रभावित होकर अपने घरवालों को त्यागकर गोरखनाथ मठ चले जाते हैं. मठ में अजेय की मेहनत और लग्न और पराकाष्ठा देखकर कर्णछेदन समारोह के दौरान महंत अवैद्यनाथ अजेय को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर देते हैं, जिसके बाद अजेय पूरी तरह से योगी आदित्यनाथ के नाम से घोषित किए जाते हैं.

2017 में मिला सीएम पद

गोरखपुर में हो रहे भ्रष्टाचार को देखकर योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बनाते हैं, जिसके बाद उनका सामने बाहुबलियों से भी होता है. महंत वैद्यनाथ की अंतिम समाधि के बाद योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मठ के पीठाधीश बन जाते हैं. बाहुबलियों से बचकर चुनावी प्रचार करने से लेकर विधानसभा चुनाव तक. योगी आदित्यनाथ कोई कसर नहीं छोड़ते. अंत में प्रधानमंत्री के बुलावे पर आखिरकार वो 2017 में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ भी लेते हैं.

रविंद्र गौतम ने किया शानदार काम

इंशॉरर्ट कहानी में अजेय सिंह बिष्ट के बचपन से शुरू होकर उनके संन्यासी योगी आदित्यनाथ बनने और फिर देश के सबसे कम उम्र के सांसद के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक के सफर को दिखाती है. फिल्म 'अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी' के निर्देशक रविंद्र गौतम की तारीफ होनी चाहिए. बेहद कम प्रमोशन के बाद भी फिल्म पर उन्हें खासा कॉन्फिडेंस था, जो एक पॉजिटिव सोच थी.

सादगी और ईमानदारी से भरी फिल्म

राइटर दिलीप बच्चन झा और प्रियांक दुबे ने बुक को अपने शब्दों में पिरोया और अच्छे से लिखा. फिल्म के डायलॉग्स हो या रिसर्च, दोनों का काम बड़े पर्दे पर दिखा. फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी सादगी और ईमानदारी है, क्योंकि इसमें किसी तरह का दिखावा या प्रोपेगंडा नजर नहीं आता. योगी आदित्यनाथ जैसे बड़े राजनेता का किरदार निभाना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन एक्टर अनंत जोशी ने इस चुनौती को बखूबी निभाया है, वो हर सीन में काफी जमे हैं.

गरिमा विक्रांत का बढिया काम

उनका परफॉर्मेंस इतना दमदार है कि वो कहीं भी बड़े पर्दे पर योगी आदित्यनाथ शख्सियत के बोझ तले दबते नजर नहीं आए. वहीं, परेश रावल का महंत अवैद्यनाथ का किरदार हो या दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ का पत्रकार का किरदार, दोनों कलाकारों का योगदान भी सराहनीय है. अजेय की मां की भूमिका अदा करती गरिमा विक्रांत सिंह ने भी अच्छा काम किया है.

फिल्म की डिटेलिंग पर दिया गया ध्यान

राजेश खट्टर, पवन मल्होत्रा और सरवर आहुजा ने भी अपने किरदार को ईमानदारी से निभाया है. जमाने के साथ बदलते हुए कपड़े-रेडियो हो या हॉस्पिटल इक्विपमेंट्स या कैसेट प्लेयर, फिल्म की डिटेलिंग पर भी ध्यान दिया गया है. विष्णु राव की सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक स्ट्रांग है, जो फिल्म में और फील लाता है. हालांकि, मीत ब्रदर्स गाने थोड़े कमजोर पड़ जाते हैं और याद नहीं रह पाते.

फाइनल वर्डिक्ट

अगर आपको बायोपिक, पोलिटिकल स्टोरीज पसंद है, तो ये फिल्म आपके लिए है. फिल्म की ईमानदारी और सादगी इसका प्लस पॉइंट है, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सब सिनेमाघरों में भीड़ खींचने के लिए काफी है? ये देखने वाली बात होगी. अगर आपको ड्रामा, रोमांस पसंद है तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है, लेकिन अगर आप एक अच्छी कहानी और दमदार एक्टिंग देखना चाहते हैं, तो 'अजेय' को एक मौका जरूर दें. फिल्म को मिलते हैं 3.5 स्टार.

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