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अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप में फर्जीवाड़ा, एक चौथाई आवेदनों में पाई गई गड़बड़ी

Minority Scholarship Scheme Scam : संस्थागत नोएड अधिकारी द्वारा छात्रवृत्ति दस्तावेजों की जांच की जाती है और फिर उसे सत्यापन के लिए जिला स्तर पर नोडल अल्पसंख्यक अधिकारी के पास भेजा जाता है।

Minority Scholarship Scheme Scam : केंद्र सरकार की अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप में बड़ा घोटाला पाया गया है। साल 2022-23 के लिए आए सत्यापित 25.5 लाख आवेदकों में से 26 प्रतिशत आवेदक फर्जी पाए गए हैं। जब विभाग ने दस्तावेजों की आधार आधारित बॉयोमैट्रिक से जांच की तो इसमें 6.7 लाख से ज्यादा आवेदकों में गड़बड़ी पाई गई है। अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप आवेदनों के सत्यापन की जिम्मेदारी संस्थागत नोडल अधिकारी (आईएनओ) और संस्थानों के एचओआई (प्रमुख) के पास थी। इसकी संख्या करीब एक-एक लाख ज्यादा थी। इसके बावजूद बायोमेट्रिक जांच के दौरान 5,422 INO और 4,834 HOI गायब रहे। स्कॉलरशिप दस्तावेजों की जांच के बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने सिर्फ 18.8 लाख आवेदकों को ही सही पाया है। जांच में यह भी जानकारी मिली है कि साल 2022-23 में स्कॉलरशिप के लिए आने वाले नए आवेदनों में से 30 प्रतिशत फर्जी पाए गए हैं। वहीं साल 2021-22 में 30 लाख आवेदन आए थे, जिनमें से 9.1 लाख आवेदन नए थे। यह भी पढे़ं : CBSE Single Girl Child Scholarship 2022: सीबीएसई सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए रजिस्ट्रेशन विंडो आज होगी बंद, देखें डिटेल्स News24 अब WhatsApp पर भी, लेटेस्ट खबरों के लिए जुड़िए हमारे साथ जानें छात्रवृत्ति दस्तावेजों के सत्यापन की क्या है प्रक्रिया आपको बता दें कि सबसे पहले संस्थागत नोएड अधिकारी द्वारा छात्रवृत्ति दस्तावेजों की जांच की जाती है और फिर उसे सत्यापन के लिए जिला स्तर पर नोडल अल्पसंख्यक अधिकारी के पास भेजा जाता है। नोडल अल्पसंख्यक अधिकारी के अनुमोदन के बाद लाभार्थियों के आवेदन विभाग को भेज दिए जाते हैं। विभाग से जांच के बाद ही स्कॉलरशिप के लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं। बायोमैट्रिक की जांच में पाई गई गड़बड़ी अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप में घोटाला की शिकायत सीबीआई से भी की जाएगी, क्योंकि यह एजेंसी पहले ही इस मामले की जांच कर रही है। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने जुलाई महीने में ही सार्वजनिक धन के कथित हेरफेर की जांच सीबीआई के हवाले कर दी थी, लेकिन डेटाबेस की छानबीन जारी रखी थी। एक विशेष अभियान के तहत विभाग ने इस साल के दस्तावेजों का बायोमैट्रिक के सहारे सत्यापन किया है।


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