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3 कमरों से की शुरुआत…घर-घर जाकर बेचे प्राेडक्‍ट्स, बना डाली 700 करोड़ की कंपनी

Know About Vicco Laboratories : विको कंपनी को आयुर्वेदिक ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने के लिए जाना जाता है। कंपनी की शुरुआत 1952 में हुई थी। शुक्रवार को कंपनी के चेयरमैन यशवंत पेंढारकर का निधन हो गया। उन्होंने कंपनी को बढ़ाने में काफी योगदान दिया। कंपनी के प्रोडक्ट के जिंगल आज लोगों को याद हैं।

किचन में प्रोडक्ट बनाने से हुई थी विको की शुरुआत।
Success Story of Yeshwant Pendharkar : विको का कोई न कोई प्रोडक्ट आपने कभी न कभी इस्तेमाल जरूर किया होगा। देश-विदेश में पहुंच बनाने वाली विको आज दुनिया की जानी-मानी कंपनी है। विको को बुलंदियों तक पहुंचाने में कंपनी के चेयरमैन यशवंत पेंढारकर का काफी योगदान रहा है। 85 साल के यशवंत पेंढारकर का शुक्रवार को निधन हो गया। विको की शुरुआत यशवंत पेंढारकर के पिताजी केशव विष्णु पेंढारकर ने की थी।

घर में शुरू हुई थी कंपनी

महाराष्ट्र के नागपुर में पैदा हुए केशव विष्णु पेंढारकर के घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। शुरू में उन्होंने घर पर ही किराने की दुकान शुरू की। दुकान से बहुत ज्यादा फायदा नहीं हो पा रहा था। बाद में उन्होंने दुकान बंद की और मुंबई चले गए। यहां उन्होंने कई तरह के काम किए और बिजनेस मार्केटिंग के गुण सीखे। इसके बाद वह कई तरह की चीजें खुद बनाते थे और खुद ही बेचते थे। इस दौरान उन्होंने कई गलतियां कीं और इनसे सीखा भी। उन्होंने देखा कि मार्केट में कई कंपनियों के केमिकल वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट मौजूद हैं। ऐसे में उनके दिमाग में केमिकल-फ्री प्रोडक्ट बनाने का आइडिया आया। इसके लिए केशव विष्णु पेंढारकर ने आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में जानकारी ली और केमिकल-फ्री कॉस्मेटिक ब्रांड लॉन्च करने का फैसला लिया। केशव विष्णु पेंढारकर तीन कमरों के घर में रहते थे। उन्होंने किचन को ही आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के लिए लिए चुना और वहीं पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बना ली। दूसरे कमरे को गोदाम और ऑफिस बना लिया। सिर्फ एक कमरे में ही गुजर-बसर करने लगे। यहां उन्होंने 1952 में विको कंपनी (विको लैबोरेटरीज ) की शुरुआत की। शुरुआत में कंपनी के प्रोडक्ट घर-घर बेचने पड़ते थे। [caption id="attachment_723921" align="alignnone" ] तीन कमरों के घर में हुई थी कंपनी की शुरुआत।[/caption]

टूथ पाउडर था पहला प्रोडक्ट

कंपनी ने पहला आयुर्वेदिक प्रोडक्ट टूथ पाउडर बनाया। इसका नाम था विको वज्रदंती टूथ पाउडर। कंपनी का दावा था कि इसे बनाने में 18 जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया है। इस पाउडर का विज्ञापन उस समय दूरदर्शन पर काफी फेमस हुआ था। साथ ही यह पाउडर भी देशभर में प्रसिद्ध हो गया और कोने-कोने में पहुंच गया। इसके बाद कंपनी के मानों पंख लग गए और मात्र तीन साल में ही उसका टर्नओवर 10 हजार रुपये सालाना पहुंच गया था। आज कंपनी की वैल्यू करीब 700 करोड़ रुपये है। यह भी पढ़ें : लक्‍स का नाम Lux ही क्‍यों पड़ा? कपड़े धोने का साबुन आख‍िर कैसे बना ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट? जानें रोचक कहानी

जिंगल ने बनाई पहचान

केशव विष्णु पेंढारकर के बेटे यशवंत पेंढारकर ने इस कंपनी को आगे बढ़ाने में काफी योगदान दिया। 80 और 90 के दशक में विको के विज्ञापन दूरदर्शन पर छाए हुए थे। इन विज्ञापनों में जो जिंगल इस्तेमाल किया जाता था, उसे तैयार करने में यशवंत पेंढारकर ने भी काफी मेहनत की थी। इनमें 'विको टरमरिक, नहीं कॉस्मेटिक, विको टरमरिक आयुर्वेदिक क्रीम' और 'वज्रदंती, वज्रदंती विको वज्रदंती' जैसे जिंगल आज भी लोगों की जुबान पर हैं। यशवंत ने एलएलबी की थी। एक बार कंपनी सेंट्रल एक्साइज से जुड़े एक केस में फंस गई थी। इस केस को जीतने में यशवंत की कानूनी मदद बहुत महत्वपूर्ण रही। वह साल 2016 में कंपनी के चेयरमैन बने थे।


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