Rupee vs Dollar: रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा, एक डॉलर की कीमत बढ़कर हुई 81.91 रुपये
Rupee vs Dollar
नई दिल्ली: डॉलर के मुकाबले में रुपये (Rupee vs Dollar) में गिरावट का दौर बदस्तूर जारी है। रुपया गिरावट का अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़कर लगातार नया रिकॉर्ड बना रहा है। आज एकबार फिर रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। इस गिरावट के साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपया एकबार फिर अबतक के अपने सबसे निचले स्तर (Rupee at Record Low) पर पहुंचा गया है।
आज (28 September) को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 32 पैसे गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 81.91 रुपए पर खुला है। इससे पहले पिछले कारोबारी दिन मंगलवार 27 सितंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 4 पैसे की मजबूती के साथ 81.58 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
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यूएस फेड ने ब्याज दरों में की है बढ़ोतरी
जानकारों के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में ताजा गिरवाट की वजह वजह यूएस फेड के द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाया जाना है। वहीं विदेशी मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट का स्थानीय मुद्रा पर असर पड़ा है। इसके अलावा कच्चे तेल के दामों में मजबूती और निवेशकों की जोखिम न लेने की प्रवृत्ति ने भी रुपये को प्रभावित किया है।
अमेरिका में ब्याज दरें में बढ़ोतरी का असर!
- महंगाई को नियंत्रित करने के लिए लगातार तीसरी बार ब्याज दरें बढ़ी हैं। गौरतलब है कि यूएस फेड ने मंहगाई को नियंत्रित करने के 0.75 बेसिस प्वाइंट ब्याज दर बढ़ाया है। इससे अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाकर 3-3.25 फीसदी हो गई है।
- यूएस फेड के द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल रही है। गौरतलब रुपये की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए केंद्रीय बैंक ने जुलाई में 19 अरब डॉलर के रिजर्व को बेच दिया था। लेकिन स्थिति बहुत बेहतर नहीं हुई है।
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डॉलर की मांग और आपूर्ति से तय होती है रुपये की कीमत
गौरतलब है कि रुपये की कीमत इसकी डॉलर के तुलना में मांग और आपूर्ति से तय होती है। इसके साथ ही देश के आयात और निर्यात पर भी इसका असर पड़ता है। हर देश अपने विदेशी मुद्रा का भंडार रखता है। इससे वह देश के आयात होने वाले सामानों का भुगतान करता है। हर हफ्ते रिजर्व बैंक इससे जुड़े आंकड़े जारी करता है। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति क्या है, और उस दौरान देश में डॉलर की मांग क्या है, इससे भी रुपये की मजबूती या कमजोरी तय होती है।
क्या होगा असर
रुपये के कमजोर होने से देश में आयात महंगा हो जाएगा। इससे कारण विदेशों से आने वाली वस्तुओं जैसे- कच्चा तेल, मोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स आदि महंगे हो जाएंगे। अगर रुपया कमजोर होता हैं तो विदेशों में पढ़ना, इलाज कराना और घूमना भी महंगा हो जाएगा।
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