Shantanu Naidu Recalls His Childhood: भारत के दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा के सबसे करीबी सहयोगी शांतनु नायडू एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार शांतनु नायडू अपनी एक लिंक्डइन पोस्ट को लेकर चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। शांतनु नायडू ने लिंक्डइन पर एक वीडियो शेयर की, जिसके कैप्शन में उन्होंने अपनी जनरेशन के लोगों की सबसे अच्छी बातों को हाइलाइट किया है। उन्होंने बताया कि उनकी जनरेशन के बच्चों की सबसे अच्छी बात यह थी कि उस वक्त हमारे पास फोन नहीं था। हमने अपनी गर्मियों की छुट्टियों को चोर-पुलिस और लुका-छिपी जैसे खेल खेलते हुए बिताया। वो गर्मी की छुट्टियों की एक जीवंत तस्वीर थी।
'हम चोर-पुलिस और लुका-छिपी जैसे खेल खेलते'
इस लिंक्डइन पोस्ट में टाटा मोटर्स के जनरल मैनेजर शांतनु नायडू ने अपने बचपन के दिनों को याद किया। जब ज्यादातर लोग टेक्नोलॉजी के अछूते थे। वीडियो में शांतनु नायडू ने कहा कि मेरे साथ उस समय में चलो जब टेक्नोलॉजी ने हमें परेशान नहीं किया था। मराठी में बात करते हुए शांतनु ने कहा कि हमारा पूरा दिन हंसी-मजाक, आउटडोर गेम्स और मासूम शरारतों से भरा होता था। उन्होंने बताया कि बचपन चाहे जैसा भी रहा हो, हमारी पीढ़ी की सबसे अच्छी बात यह थी कि उस समय एक भी फोन नहीं था। हमारी गर्मियों की छुट्टियां चोर-पुलिस और लुका-छिपी जैसे खेल खेलते हुए बितती थीं।
'मैं वही बच्चा था...'
इस दौरान उन्होंने हंसते हुए कहा कि अक्सर बचपन में कोई न कोई बच्चा ऐसा होता है जो हमेशा अपनी मां से दूसरे बच्चों की शिकायत करता है, मैं वही बच्चा था। उन्होंने कहा कि शाम 7 बजे की प्रार्थना के बाद हमारे खेलने का समय खत्म हो जाता था। लेकिन उन्हें याद है कि कैसे उनके दोस्त उन्हें इतनी अच्छी तरह छिपा लेते थे कि उनकी मां उन्हें ढूंढ नहीं पाती थीं। बेशक, इसका मतलब था कि बाद में घर पर उन्हें इसके लिए बहुत डांट पड़ती थी।
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'हमारी पीढ़ी का सबसे बड़ा सौभाग्य'
उन्होंने कहा कि उनके बचपन की शरारतें यहीं खत्म नहीं हुईं। शांतनु ने बताया कि उन्होंने बचपन में आम और जामुन चुराने से लेकर तितलियों का पीछा करने और साइकिल से रेसिंग किया करते थे। उन्होंने आगे कहा कि यह मेरी पीढ़ी का सबसे बड़ा सौभाग्य है कि हमारे पास फोन नहीं थे। और फिर भी, सभी यादें हमारे दिमाग में ताजा तस्वीरों की तरह हैं।
'बिना फोन के बड़ा होना सौभाग्य की बात'
शांतनु नायडू ने कहा कि फोन की वजह से बचपन खत्म हो जाता था। अब जब हम बड़े हो गए हैं, तो हमारी जवानी फोन की वजह से नष्ट हो रही है। वो दिन सचमुच अच्छे दिन थे। बिना फोन के बड़ा होना कितना सौभाग्य की बात है। शांतनु की इस पोस्ट पर लोगों के शानदार रिएक्शन सामने आ रहे हैं।