कभी मंगाते थे, अब भेज रहे, भारत की शाइनिंग Apple स्टोरी China के लिए बड़ा खतरा
Indian Manufacturing: एक जमाना था जब भारत इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स के मामले में चीन और वियतनाम जैसे देशों पर पूरी तरह निर्भर था, लेकिन अब तस्वीर काफी हद तक बदल गई है। भारत अब इन देशों को इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स भेज रहा है। यह बदलाव इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनका इस्तेमाल मैकबुक, एयरपॉड्स, वॉच, पेंसिल और आईफोन जैसे विभिन्न ऐपल उत्पादों में किया जाता है।
भारत बनेगा हब
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स इस डेवलपमेंट को भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। उनका कहना है कि भारत पिछले दो दशकों से चीन और वियतनाम से इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट और सब-असेंबली आयात करता रहा है। अब यह आयातक से निर्यातक की भूमिका में आ गया है, जो वाकई एक बड़ा बदलाव है। इससे पता चलता है कि भारत खुद को एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित कर रहा है और यह चीन के लिए किसी खतरे से कम नहीं है।
इनसे मिलाया है हाथ
एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि भारत 2030 तक 35-40 अरब डॉलर के अपने कंपोनेंट एक्सपोर्ट के लक्ष्य तक पहुंच सकता है। मदरसन ग्रुप, Jabil, एक्वस और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियां ऐपल की प्रोडक्ट्स रेंज के लिए कंपोनेंट बना रही हैं। Jabil अमेरिकी कंपनी है, लेकिन इसका भारत के पुणे में भी प्लांट है और इसी प्लांट में उसने एयरपॉड्स मैकेनिक्स का उत्पादन शुरू किया है। कर्नाटक मुख्यालय वाली एक्वस मैकबुक मैकेनिक्स बना रही है। जबकि, मदरसन समूह हाल ही में Apple के नेटवर्क का हिस्सा बना है और iPhone एनक्लोजर के प्रोडक्शन में शामिल है। यह Apple की सप्लाई चेन में विविधता की रणनीति को दर्शाता है।
चीन का विकल्प भारत
भारत, Apple के लिए चीन और वियतनाम के विकल्प के रूप में सामने आया है। TOI की रिपोर्ट में काउंटरपॉइंट रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट नील शाह के हवाले से बताया गया है कि भारत ऐपल उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट बनाता है और उनकी फाइनल असेंबली के लिए चीन और वियतनाम को भेजता है। पिछले कुछ समय में भारत को लेकर इस अमेरिकी कंपनी की रणनीति में व्यापक बदलाव आया है।
पार्टनरशिप पर जोर
आईफोन निर्माता Apple न केवल भारत के स्थानीय निर्माताओं के साथ पार्टनरशिप कर रही है, बल्कि अपने वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं को भारत में फैसिलिटी स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। इस अमेरिकी कंपनी ने तीन साल पहले टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स को अपना पहला लोकल आपूर्तिकर्ता नियुक्त किया था। इसके बाद से वह भारत में पार्टनरशिप पर जोर दे रही है। ऐपल फिलहाल भारत में केवल आईफोन बना रही है, लेकिन जल्द ही वह आईपॉड्स का उत्पादन भी शुरू कर सकती है।
मेक इन इंडिया का कमाल
एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन और वियतनाम को Apple के इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट का निर्यात, भारत में मैन्युफैक्चरिंग ईकोसिस्टम की शुरुआत है। फिलहाल यह निर्यात केवल एनक्लोजर और कुछ दूसरे कंपोनेंट तक ही सीमित है, लेकिन आने वाले समय में इसमें विस्तार निश्चित है। 'मेक इन इंडिया' पहल देश के मैन्युफैक्चरिंग ईकोसिस्टम के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है।
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