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एक मजदूर का बेटा कैसे बना 3 हजार करोड़ की कंपनी का CEO? 10 साल की उम्र में करने लगा था मेहनत

PC Mustafa Success Story: मुस्तफा और उसके भाई-बहनों ने 10 साल की उम्र में ही परिवार के भरण-पोषण के लिए अपने गांव में जलाऊ लकड़ी बेचने जैसे छोटे-मोटे काम करना शुरू किया।

PC Mustafa Success Story: कुछ लोगों के सपने इतने बड़े होते हैं कि वे उनको पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर देते हैं, फिर चाहे उनके जीवन में कितने भी उतार-चढ़ाव आएं, वे पीछे नहीं हटते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक सफलता की कहानी आईडी फ्रेश फूड के सीईओ मुस्तफा पीसी की है, जिन्होंने शून्य से लेकर शिखर तक का सफर तय किया और आज वे 3,000 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक हैं।

पिता दिहाड़ी मजदूर थे

मुस्तफा का जन्म केरल के वायनाड में एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ, उनके पिता दिहाड़ी मजदूर थे और अदरक के खेत में काम करके रोजाना केवल 10 रुपये कमाते थे। इसी वजह से मुस्तफा और उसके भाई-बहनों को 10 साल की उम्र में ही अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए अपने गांव में जलाऊ लकड़ी बेचने जैसे छोटे-मोटे काम करने के लिए मजबूर किया। इस तरह से उन्होंने 150 रुपये कमाकर अपना पहला वित्तीय निवेश किया। इस दौरान उन्होंने एक-एक पैसा बचाकर और एक बकरी खरीदी।

गाय का दूध बेचकर पेट भरता था परिवार

इसके बाद उन्होंने अपने परिवार के लिए गाय खरीदने के लिए बकरी बेच दी। फिर, गाय के दूध से कुछ पैसे मिलने के कारण परिवार अंततः दिन में तीन बार भोजन करने में सक्षम हो गया। वहीं, कुछ बचत और छोटे निवेशों ने उन्हें राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) में प्रवेश पाने और कंप्यूटर विज्ञान में डिग्री हासिल करने में काफी मदद की। डिग्री मिलने के बाद मुस्तफा को मोटोरोला में आईटी की नौकरी मिल गई और फिर वे दुबई में सिटीबैंक चले गए। यह भी पढ़ें- कौन है वो महिला, जिसकी 17 की उम्र में शादी हुई, आइसक्रीम बेची, आज 6 हजार करोड़ की मालकिन

भाइयों के साथ मिलकर शुरू किया काम

मुस्तफा ने वहां से वापस लौटकर प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान, बैंगलोर से एमबीए किया। एमबीए करने के दौरान ही मुस्तफा ने अपने चचेरे भाइयों के साथ मिलकर डोसा और इडली बैटर बनाने का काम शुरू किया। वहीं, बाद में उन्होंने अपने चचेरे भाइयों के सहयोग से वर्ष 2005 में 50,000 रुपये की पूंजी के साथ अपनी खुद की ब्रेकफास्ट फूड कंपनी शुरू की, जो खाने के लिए तैयार पैकेज्ड फूड आईडी, फ्रेश फूड की आपूर्ति करती थी। बाद में, उन्होंने बदलाव करते हुए इडली और डोसा बैटर की आपूर्ति शुरू की, जो एक गेम-चेंजर साबित हुई।

शुरुआती संघर्षों के बाद मिली सफलता

मुस्तफा पीसी ने बताया कि हम भारतीय अपने पैक किए गए भोजन पर भरोसा नहीं करते हैं, यहां पैक की गई खाने की चीजों को सहीं नहीं माना जाता है। इस दौरान जब हमने बाजार में प्रोडक्ट लॉन्च किया, तो हम आश्चर्यचकित थे कि कोई भी बैटर का पैकेज खरीदने को तैयार नहीं था। पहले हमने बाजार में 100 पैकेट भेजना शुरू किया, जिसमें से 90 वापस आते थे। इस तरह धीरे-धीरे आईडी फ्रेश फूड्स की बिक्री बढ़ गई और यह नाश्ते के खाने में एक लोकप्रिय नाम बन गया। मुस्तफा ने आगे बताया कि उनके ब्रांड को अलग करने वाली बात यह है कि उन्होंने अपने पूर्व-निर्मित बैटर में किसी भी रसायन का प्रयोग नहीं किया।  


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