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आर्थ‍िक व‍िकास के सही रास्‍ते पर है देश, नवंबर में अच्‍छी रहीं आर्थ‍िक गत‍िव‍िध‍ियां और मजबूत बनी रही मांग: RBI

आरबीआई की र‍िपोर्ट के अनुसार नवंबर में मांग मजबूत बनी रही है और आर्थ‍िक गत‍िव‍िध‍ियां भी अच्‍छी रही हैं. हालांक‍ि इसके साथ ही आरबीआई ने ग्‍लोबल अनसर्टेन‍िट‍ि को देखते हुए आगे के ग्रोथ मोमेंटम में कमी की ओर इशारा भी क‍िया है.

आरबीआई ने कहा है क‍ि देश का व‍िकास सही दि‍शा में है

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपना द‍िसंबर का बुलेट‍िन जारी कर द‍िया है. इसमें सेंट्रल बैंक ने 'स्टेट ऑफ द इकोनॉमी' पर भी एक लेख जारी क‍िया है, ज‍िसमें यह बताया गया है क‍ि नवंबर में कुल आर्थिक गतिविधि मजबूत बनी रही है. इस दौरान शहरी मांग में मजबूती के कारण मांग की स्थिति भी मजबूत रही है. हालांक‍ि मैन्युफैक्चरिंग और ग्रामीण मांग में कुछ नरमी के संकेत दिखे. लेक‍िन सेवाएं मजबूत बनी रहीं. RBI ने अपने लेख में कहा है क‍ि हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स ये बताते हैं कि त्योहारों के बाद भी नवंबर महीने में कुल आर्थिक गतिविधि मजबूत बनी रहीं.

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आर्थिक गतिविधि में हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स जैसे क‍ि ई-वे बिल, पेट्रोलियम खपत और डिजिटल भुगतान में वृद्धि देखी गई. वहीं दूसरी ओर GST रेट के रेशनलाइजेशन का असर भी द‍िखा, ज‍िससे कम GST रेवेन्यू कलेक्शन हुआ.

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रुपये पर RBI ने क्‍या कहा ?

अपने आर्टिकल में RBI ने रुपये की चाल पर कहा है कि नवंबर में भारतीय रुपया (INR) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ, जिस पर अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने, विदेशी पोर्टफोलियो फ्लो में कमी और भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता का दबाव था, लेकिन INR में उतार-चढ़ाव कम हुआ और यह ज्‍यादातर बड़ी करेंसी की तुलना में काफी कम रहा. 19 दिसंबर तक रुपया नवंबर के आखिर के लेवल से 0.8 प्रतिशत कमजोर हुआ है.

आर्ट‍िकल के अनुसार रियल इफेक्टिव टर्म्स में, भारतीय रुपया नवंबर में स्थिर रहा, क्योंकि नॉमिनल इफेक्टिव टर्म्स में रुपये की गिरावट भारत में अपने मुख्य ट्रेडिंग पार्टनर की तुलना में ज्‍यादा कीमतों से बैलेंस हो गई.

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने इस महीने की शुरुआत में लेटेस्ट मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू के दौरान अपनी चर्चा में कहा कि हालांकि 2025-26 (FY26) की तीसरी तिमाही (Q3) में घरेलू आर्थिक गतिविधि मजबूत बनी रही, लेकिन कुछ प्रमुख हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स में कमजोरी से पता चलता है कि पहले हाफ (H1) की तुलना में दूसरे हाफ (H2) में ग्रोथ की गति धीमी हुई है.


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