अगर आपको लगता है कि आपकी लोन एलिजिबिलिटी इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी इनकम कितनी है तो आप गलत हैं. क्योंकि लोन एलिजिबिलिटी सिर्फ इस बात पर निर्भर नहीं करती, बल्कि इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपने कभी डिफॉल्ट किया है या नहीं. जी हां, अगर आप क्रेडिट कार्ड यूजर हैं और अक्सर क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करते हैं तो आपके लोन की एलिजिबिलिटी इस पर भी निर्भर करती है. असल में, हर क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन इस बात पर असर डालता है कि लेंडर रिस्क का आकलन कैसे करते हैं.
आपका क्रेडिट कार्ड बिहेवियर इस बात का सबसे साफ सबूत है कि आप असल में पैसे कैसे मैनेज करते हैं और लेंडर्स इसी से यह जान पाते हैं. इसलिए अगर आप लोन लेने जा रहे हैं तो ये जानना जरूरी है कि आप अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कैसे करें?
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लोन लेने से पहले क्रेडिट कार्ड यूज में ये गलती न करें
क्रेडिट यूटिलाइजेशन
बैंकों को इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने क्रेडिट कार्ड से क्या खरीदते हैं. लेकिन उन्हें इस बात से फर्क पड़ता है कि आप अपनी उपलब्ध क्रेडिट का कितना इस्तेमाल करते हैं. मसलन, अगर आपके कार्ड की लिमिट 2 लाख रुपये है और आप रेगुलर तौर पर 1.4-1.6 लाख रुपये खर्च करते हैं, तो आप अपनी लिमिट का 70-80 प्रतिशत इस्तेमाल कर रहे हैं. भले ही आप समय पर पेमेंट करते हों, लेकिन यह ज्यादा यूटिलाइजेशन फाइनेंशियल दबाव की ओर इशारा करता है. किसी लेंडर को ऐसा लग सकता है कि आप हर महीने मुश्किल में हैं. कम यूटिलाइजेशन, यानी आइडियली 30-40 प्रतिशत से कम यूटिलाइज करते हैं तो इससे लोन की संभावना बढ़ जाती है.
बहुत ज्यादा यूज
अगर आप हर बार खरीदारी के लिए क्रेडिट कार्ड को यूज करते हैं तो लेंडर्स ये मान लेते हैं कि आप डेली एक्सपेंस के लिए भी क्रेडिट कार्ड पर डिपेंडेंट हैं. अगर आप ओकेजनली यूज करते हैं तो लोन देने वालों को आप पर ज्यादा भरोसा होता है.
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डिफॉल्ट से बचने के लिए मिनिमम बिल पेमेंट
इसे भी लेंडर्स अच्छा नहीं मानते हैं. वे मान लेते हैं कि आप यह अपनी सुविधा के लिए नहीं, बल्कि कैश-फ्लो की दिक्कत की वजह से कर रहे हैं. बैंक मान लेता है कि आपको एक्स्ट्रा EMI चुकाने में दिक्कत होगी. इससे आपको मिलने वाले लोन की रकम कम हो सकती है.
क्रेडिट कार्ड का पैसा कब जमा करते हैं?
अगर आप हर महीने क्रेडिट कार्ड से खर्चों को मैनेज करते हैं और फिर उसके बिल का भुगतान भी कर देते हैं तो बस इतना ही काफी नहीं है. क्योंकि क्रेडिट कार्ड का बिल आप कब देते हैं ये भी मायने रखता है. मसलन अगर आप स्टेटमेंट बनने के बाद लेकिन ड्यू डेट से पहले पेमेंट करते हैं, तो भी ज्यादा बैलेंस क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट किया जाता है. स्कोरिंग के नजरिए से, ऐसा लगता है कि आप बड़ा बैलेंस कैरी कर रहे हैं, भले ही आप बाद में उसे क्लियर कर दें. जो लोग लगातार स्टेटमेंट में ज्यादा बैलेंस दिखाते हैं, उन्हें अनुशासित पेमेंट करने वाले होने के बावजूद कम स्कोर मिल सकता है. यह एक छोटी सी बात है, लेकिन यह इस बात पर असर डालती है कि लोन देने वाले आपकी प्रोफाइल को कैसे देखते हैं.
कैश निकालना क्रेडिट प्रोफाइल को डैमेज करने जैसा
अगर आप क्रेडिट कार्ड से कैश निकालते हैं तो ये आपके क्रेडिट प्रोफाइल को पूरी तरह डैमेज कर देगा. ऐसे लोगों को बैंक लोन देने से बचते हैं. अगर तैयार हो भी गए तो हाई इंटरेस्ट रेट लगाते हैं.