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‘एयर प्‍यूरीफायर कोई मेड‍िकल ड‍िवाइस नहीं’- केंद्र ने GST कम करने से क‍िया इनकार

हाईकोर्ट की बेंच ने पॉल्‍यूशन के हालात और उसके असर पर च‍िंता जताते हुए कहा क‍ि एक एयर प्यूरीफायर की कीमत 10000 से 15000 के बीच होती है. इसे कोई भी गरीब पर‍िवार कैसे अफॉर्ड कर पाएगा. ऐसे में इसे क्‍यों नहीं सस्‍ता क‍िया जाना चाह‍िए?

GST कम करने से सरकार ने क‍िया इनकार

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को एयर प्‍यूरीफायर पर GST कम करने से इनकार कर द‍िया है. दरअसल, एक द‍िन पहले एक याच‍िका पर सुनवाई के बाद द‍िल्‍ली हाई कोर्ट ने केंद्र को कहा था क‍ि इस बारे में व‍िचार करे. याच‍िका में राजधानी के बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी कम करने की मांग की गई थी, ज‍िसे केंद्र सरकार ने खार‍िज कर द‍िया है.

जीएसटी कम करने से क्‍यों क‍िया इनकार?

हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस विकास महाजन और विनोद कुमार की बेंच ने की. केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने बेंच को बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के फैसले के अनुसार एयर प्यूरीफायर को मेडिकल डिवाइस नहीं माना जा सकता है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि सामान का क्लासिफिकेशन और GST दरों को तय करने में एक लंबी चौड़ी कानूनी प्रक्रिया शामिल होती है. इस पूरी प्रक्र‍िया को GST काउंसिल संभालती है. किसी भी बदलाव के लिए सलाह-मशविरा करना होगा. लाइसेंसिंग और रेगुलेटरी जांच की जरूरत होती है और इसे रिट याचिका के जरिए जल्दबाजी में नहीं क‍िया जा सकता है.

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केंद्र सरकार ने यह भी कहा क‍ि अगर एयर प्‍यूरीफायर के ल‍िए जीएसटी कम करते हैं तो कई दूसरे सेक्टरों से भी इसी तरह की मांगों का सिलसिला शुरू हो सकता है. केंद्र की तरफ से वेंकटरमन ने आगे कहा कि इस मुद्दे की जांच पहले ही उच्चतम नीति स्तर पर की जा चुकी है, जिसमें वित्त मंत्री भी शामिल हैं. कोर्ट GST काउंसिल को टैक्स दरें बदलने का निर्देश नहीं दे सकते.

कोर्ट ने क्‍या कहा
हालांक‍ि हाईकोर्ट की बेंच ने पॉल्‍यूशन के हालात और उसके असर पर च‍िंता जताते हुए कहा क‍ि एक एयर प्यूरीफायर की कीमत 10000 से 15000 के बीच होती है. इसे कोई भी गरीब पर‍िवार कैसे अफॉर्ड कर पाएगा. ऐसे में इसे क्‍यों नहीं सस्‍ता क‍िया जाना चाह‍िए.

बेंच ने कहा कि प्रदूषण सभी को प्रभावित करता है, चाहे वह गरीब हो या अमीर. इस मुद्दे का पूरे देश पर असर पड़ता है. कोर्ट ने केंद्र सरकार की समय देने की रिक्वेस्ट मान ली.

याचिकाकर्ता, वकील कपिल मदान ने तर्क दिया कि वह टैक्स हटाने की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि मौजूदा GST नियमों के तहत सही क्लासिफिकेशन की मांग कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि एयर प्यूरीफायर को मेडिकल डिवाइस की तरह मानने के बजाय, जिन पर कम GST लगता है, उन्हें गलत तरीके से हायर टैक्स स्लैब में रखा गया है.

रिकॉर्ड में कोई काउंटर-एफिडेविट न होने के कारण, कोर्ट ने कहा कि वह इस स्टेज पर कोई अंतरिम राहत नहीं दे सकता. उसने केंद्र सरकार को 10 दिनों के भीतर डिटेल में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और कोर्ट की छुट्टियों के बाद 9 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई के लिए लिस्ट किया.


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