टू व्हीलर में होते हैं दो तरह के ब्रेक डिस्क और ड्रम, जानें दोनों का अंतर
two wheeler brakes
Disk Brake: ब्रेक हमें व्हीकल पर कंट्रोल देती है और यह सड़क हादसों से बचाव में मददगार है। टू व्हीलर में दो तरह की ब्रेक डिस्क और ड्रम आती हैं। अकसर वाहन लेते हुए हम इस बात पर ध्यान नहीं देते की खरीदे जा रहे वाहन में कौन से ब्रेक सिस्टम दिया जा रहा है।
दुपहिया वाहन हो रहे हादसे का शिकार
एनसीआरबी के डाटा के अनुसार साल 2020 में सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों में से 43.6 प्रतिशत दोपहिया वाहन सवार थे। दुपहिया में आने वाले डिस्क ब्रेक में छेद नजर आते हैं। यह छेद लुक्स के साथ हमारी सुरक्षा भी बढ़ाते हैं।
कैसे काम करते हैं डिस्क ब्रेक
डिस्क ब्रेक में डिस्क प्लेट मैकेनिज्म होता है। इसमें एक ब्रेक की प्लेट और ब्रेक पैड होती है। जब चलते दुपहिया वाहन में ब्रेक लगाते हैं तो ब्रेक प्लेट और ब्रेक पैड के बीच तेज घर्षण होता है और वाहन रुक जाता है। ब्रेक प्लेट गर्म होकर न टूटे इसके लिए इसमें बहुत सारे छेद दिए गए होते हैं। अधिकांश बाइक में फ्रंट में डिस्क ब्रेक दिए जाते हैं।
ड्रम ब्रेक के फायदे और नुकसान
ड्रम ब्रेक सिस्टम हाइड्रोलिक या वैक्यूम से काम करता है। ड्रम ब्रेक में घर्षण पैड का सेट बेलनाकार ब्रेक ड्रम पर विपरीत दबाव डालता है। यह थोड़ी धीमी प्रक्रिया होती है, जिसके कारण ब्रेक लगाने पर वाहन को रुकने में कुछ सेकंड्स का वक्त लगता है। यह देरी कई बार दुर्घटना का कारण बन जाती है और जानलेवा भी साबित हो सकती है।
दुपहिया में ABS भी मिलता है
दुपहिया वाहनों में एबीएस भी दिया जाता है। एबीएस तकनीक से हादसों का खतरा कम होता है। यह सिस्टम व्हील सेंसर से चलता है। जो सड़क की कठोर स्थितियों को महसूस करते हैं एबीएस को सक्रिय कर देते हैं। इसमें हादसे के दौरान अचानक ब्रेक लगाने पर चालक को सामान्य ब्रेकिंग सिस्टम से वाहन को कंट्रोल करने का अधिक समय मिल जाता है। सेंसर से एंटी-लॉक ब्रेक ऑटोमेटिक रूप से ऐसा शुरू हो जाते हैं। ब्रेक लगाने पर जब वाहन के पहिए लॉक हो जाते हैं, तो वाहन के सड़क की सतह पर खतरनाक तरीके से फिसलने की (खासकर गीली सतह पर) संभावना होती है।
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