EVs in India: भारत में अब तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों की संक्या लगातार बढ़ रही है। अब EVs किफायती होने लगे हैं जिसकी वजह से ग्राहकों की पहुंच में हैं। EVs अब ग्राहकों की पसंद बनते जा रहे हैं। जो लोग मेट्रो सिटी में रहते हैं और डेली 50 किलोमीटर या इससे ज्यादा का सफ़र करते हैं वो अब EVs पर शिफ्ट हो रहे हैं। इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस (IESA) के अनुसार, 2030 में भारतीय सड़कों पर ईवी की संख्या 2.80 करोड़ को पार कर जाने की संभावना है। इससे ग्रिड से ऊर्जा की मांग पैदा बढ़ेगी।
इलेक्ट्रिक-टू व्हीलर की डिमांड होगी सबसे ज्यादा
IESA के एक बयान के अनुसार, भारत की ईवी बिक्री वित्त वर्ष 2023-2024 में 41 लाख यूनिट को पार कर गई है। यह एक अच्छा संकेत है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और बेहतर होगी। पर्यावरण के प्रति जागरूकता, ग्राहकों की रुचि, बैटरी तकनीक में प्रगति और आसानी से उपलब्ध और सुलभ ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण इनकी मांग लगातार बढ़ रही है। IESA ने ये भी कहा कि यह अनुमान लगाया गया है कि वार्षिक बिक्री का 83% इलेक्ट्रिक-टू व्हीलर होगा, 10% इलेक्ट्रिक-फोर व्हीलर और ट्रक, बस जैसे कमर्शियल वाहन होंगे। वहीं इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर की बिक्री में 7% का योगदान देंगे।दुनिया में बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है भारत
राष्ट्रीय विद्युत योजना का अनुमान है कि भारतीय पावर ग्रिड पर कुल वार्षिक मांग 2031-32 तक बढ़कर 2,133 TWH हो जाएगी और IESA के अनुमान के अनुसार, ईवी चार्जिंग इस मांग का लगभग 3% होगी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत की कुल स्थापित क्षमता को जनवरी 2025 में 466 गीगावाट से बढ़ाकर 2032 तक 900 गीगावाट करने की आवश्यकता है। यह योजना भविष्य में ईवी चार्जिंग की मांग पूरी करने और 2030 तक चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाकर लगभग एक लाख करने के लिए ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को स्थापित करने में तेजी लाने के लिए एक खाके के रूप में काम करती है। यह भी पढ़ें: Kia EV6 Recall: किआ की इस इलेक्ट्रिक कार में मिली गड़बड़ी, 1300 से ज्यादा यूनिट्स हुई रिकॉल---विज्ञापन---
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