How to Check BS VI Vehicle: दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच सरकार ने वाहनों पर सख्ती बढ़ा दी है. अब गैर-BS VI प्राइवेट गाड़ियों की एंट्री पर रोक, PUCC अनिवार्यता और भारी जुर्माने जैसे फैसलों ने आम वाहन मालिकों की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आपकी गाड़ी BS VI है या नहीं, और पुराने वाहनों को ज्यादा प्रदूषणकारी क्यों माना जा रहा है. यहां हम आसान भाषा में पूरी जानकारी दे रहे हैं.
दिल्ली में क्यों बढ़ी BS VI को लेकर सख्ती
खराब होती हवा को देखते हुए दिल्ली सरकार ने प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कड़ा एक्शन शुरू किया है. दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड गैर-BS VI प्राइवेट वाहनों को राजधानी में एंट्री नहीं दी जा रही है. इसके अलावा, जिन वाहनों के पास वैध PUCC नहीं है, उन्हें पेट्रोल-डीजल भी नहीं मिलेगा. नियम तोड़ने पर गैर-अनुपालन वाहनों पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
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BS VI वाहन है या नहीं, कैसे करें पहचान
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अगर आप जानना चाहते हैं कि आपकी गाड़ी BS VI है या नहीं, तो सबसे पहले अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) देखें. RC पर साफ लिखा होता है कि गाड़ी किस Bharat Stage नॉर्म के तहत रजिस्टर्ड है. आमतौर पर 1 अप्रैल 2020 के बाद रजिस्टर्ड सभी वाहन BS VI होते हैं. इसके अलावा, ओनर मैनुअल, इंजन या फ्यूल टैंक के पास लगे स्टिकर से भी जानकारी मिल सकती है.
VAHAN पोर्टल से भी मिल सकती है जानकारी
वाहन मालिक सरकार के VAHAN पोर्टल पर जाकर भी BS नॉर्म्स की जानकारी ले सकते हैं. इसके लिए सिर्फ गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर डालना होता है. वहीं, अधिकृत डीलरशिप या सर्विस सेंटर भी नंबर प्लेट के जरिए कंफर्म कर सकते हैं कि वाहन BS VI है या नहीं.
कौन-सी गाड़ी किस BS नॉर्म में आती है
अप्रैल 2020 से पहले खरीदी गई गाड़ियां BS IV होती हैं और उन्हें BS VI में अपग्रेड नहीं किया जा सकता. 2005 से 2010 के बीच खरीदी गई गाड़ियां BS III, जबकि 2001 से 2005 के बीच की गाड़ियां BS II कैटेगरी में आती हैं. यही वजह है कि ये वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं.
Bharat Stage उत्सर्जन मानक क्या हैं
Bharat Stage यानी BS उत्सर्जन मानक भारत में वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को कंट्रोल करने के नियम हैं. इनमें कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और पार्टिकुलेट मैटर जैसी हानिकारक गैसों की सीमा तय की जाती है. ये नियम यूरोपीय मानकों पर आधारित हैं और हर नए स्टेज में इन्हें और सख्त किया जाता है.
दिल्ली में अलग-अलग BS नॉर्म के वाहन क्यों हैं
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या पुरानी है, इसलिए यहां देश से पहले कड़े नियम लागू किए गए. BS II साल 2001 में, BS III साल 2005 में और BS IV साल 2010 में लागू हुआ, जबकि पूरे देश में ये नियम बाद में आए. अलग-अलग राज्यों से रोजाना आने वाले वाहनों की वजह से दिल्ली की सड़कों पर आज भी अलग-अलग BS नॉर्म वाली गाड़ियां चल रही हैं.
पुराने वाहन ज्यादा प्रदूषण क्यों फैलाते हैं
पुरानी गाड़ियां, खासकर डीजल वाहन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और बारीक कण ज्यादा छोड़ते हैं. ये तत्व स्मॉग बढ़ाते हैं और सांस व दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं. डीजल से निकलने वाला ब्लैक कार्बन पर्यावरण और सेहत दोनों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है.
दिल्ली-NCR में कितने वाहन ज्यादा प्रदूषणकारी हैं
रिपोर्ट के मुताबिक एक आधिकारिक बैठक में यह सामने आया है कि दिल्ली-NCR क्षेत्र के करीब 37% वाहन अभी भी BS I, BS II या BS III नॉर्म पर चलते हैं. यही वाहन प्रदूषण बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, जिस वजह से सरकार सख्त कदम उठा रही है.
BS VI और BS IV में क्या है बड़ा फर्क
BS VI नियम BS IV के मुकाबले काफी सख्त हैं. पेट्रोल गाड़ियों में नाइट्रोजन ऑक्साइड की सीमा करीब 25% कम कर दी गई है. वहीं, डीजल गाड़ियों में नाइट्रोजन ऑक्साइड लगभग 68% और पार्टिकुलेट मैटर करीब 82% तक घटाया गया है. BS VI में कम सल्फर वाला ईंधन और रियल-वर्ल्ड ड्राइविंग जैसे टेस्ट भी शामिल हैं, जिससे प्रदूषण पर बेहतर कंट्रोल संभव हो पाता है.
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