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Samba Dashami 2024: साम्ब दशमी पर करें सूर्य देव की पूजा, मिलेगा आरोग्य का वरदान

Samba Dashami 2024 Date Puja Vidhi And Importance : साम्ब दशमी का व्रत पौष मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को किया जाने वाला उत्तम व्रत है। इस व्रत को संतान के मंगल की कामना से किया जाता है और इस व्रत में सूर्य पूजा की जाती है।

साम्ब दशमी 2024
Samba Dashami 2024 Date Puja Vidhi And Importance : पौष शुक्ल दशमी तिथि को साम्ब दशमी का व्रत करने का विधान हिन्दू धर्म शास्त्रों में बताया गया है। पौष मास सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस महीने में सूर्य पूजा करने का विधान है। साल 2024 में साम्ब दशमी का व्रत 20 जनवरी , दिन शनिवार को किया जाएगा। साम्ब दशमी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि पौराणिक काल में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब किसी रोग से ग्रस्त हो गए थे, इसीलिए उनकी माता ने उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत किया। तभी से इस व्रत को करने की परंपरा चली आ रही है और माताएं अपनी संतान के स्वास्थ्य की कामना और उनके कल्याण की भावना से इस उत्तम व्रत को करती हैं। ये भी पढ़ें : लाल किताब से करें गुरुवार के ये चमत्कारी उपाय, भगवान विष्णु होंगे प्रसन्न साम्ब दशमी के दिन तांबे के लोटे से सूर्य भगवान का व्रत देने का विधान है। प्रसन्न अंत:करण से लोटे में लाल चंदन, अक्षत, लाल पुष्प, कुश और जल भरकर अपने मुख को सूर्य देव की तरफ करके सूर्य भगवान के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य देना चाहिए। साथ ही अर्घ्य देते हुए जल के बीच से सूर्य भगवान के दर्शन करना चाहिए। साम्ब भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक जाम्बवती के पुत्र थे। साम्ब को अपने रुप, बल और पराक्रम पर बहुत अभिमान हो गया था, इसी वजह से वे बहुत ही घमंडी बन गए। एक बार उनकी किसी बात से आहत होकर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें श्राप दिया। जिसके बाद साम्ब को कोढ़ हो गया। वे इस रोग से बहुत दुखी और परेशान रहने लगे। जिसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करने पर वे श्राप से मुक्त हुए और उन्हें अपना रुप-यौवन, बल और पराक्रम फिर से प्राप्त हो गया। ये भी पढ़ें : निवेश से इन 4 राशि वालों की हो सकती है बल्ले बल्ले, पढ़ें आज का वित्तीय राशिफल पौराणिक मान्यताओं के अनुसारइस दिन गणपति जी और मां पार्वती की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि साम्ब दशमी के दिन पवित्र कुण्ड, नदी अथवा तालाब में स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है और शाम को मां पार्वती और गणेश की पूजा करने व्रत का पारण किया जाता है। ये भी पढ़ें : भगवान श्रीराम के मधुर भजनों से करें अपने दिन की शुरुआत, सुन्दर सुन्दर भजन डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्मग्रंथों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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