डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
अष्टमी श्राद्ध विधि और सामग्री
अष्टमी श्राद्ध में आठ ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है। श्राद्ध में पितरों को गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ और मिश्री मिश्रित जल की जलांजलि दें। इसके बाद पितृ पूजन करें। पितृगण के निमित्त,गाय के घी का दीपक जलाएं। सुगंधित धूप,लाल फूल, लाल चंदन, तिल और तुलसी को श्राद्ध सामग्री के रूप में इस्तेमाल करें। इसके अलावा जौ के आटे के पिण्ड पतरों को समर्पित करें। फिर उनके नाम का भोग लगाएं। कुश के आसन पर बैठाकर पितृ के निमित्त भगवान विष्णु के गोविंद स्वरूप का ध्यान करते हुए गीता के आठवें अध्याय का पाठ करें। इसके साथ ही विशेष पितृ मंत्र "ॐ गोविन्दाय नमः" का यथा संभव जाप करें। इसके उपरांत लौकी की खीर, पालक, पूड़ी, पालक की सब्जी, मूंग दाल, हरे फल, लौंग-इलायची और मिश्री अर्पित करें। भोजन के बाद ब्राह्मणों को वस्त्र, मिश्री और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें। यह भी पढ़ें: जीवित्पुत्रिका व्रत पर महिलाओं के लिए वरदान साबित हो सकता है 1 मंत्र, संतान प्राप्ति की कामना होगी पूरी!अष्टमी श्राद्ध विधि
- पितृ पक्ष की अष्टमी श्राद्ध के अवसर पर किसी योग्य पंडित के जरिए श्राद्ध कर्म (पिंडदान और तर्पण) करवाना उपयुक्त होता है।
- अष्टमी श्रद्ध में पूरी श्रद्धा के साथ दान किया जाता है। ऐसे में इस दिन अगर आप गरीब, जरुरतमंद की सहायता भी कर सकते हैं, ऐसा करने से पितृ देव खुश होंगे।
- पितृ पक्ष की अष्टमी श्राद्ध के अवसर पर गाय, कुत्ते, कौए, इत्यादि पशु-पक्षियों को भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।
- अगर संभव हो तो गंगा नदी के किनारे श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। अगर ऐसा संभव ना हो तो घर पर भी किया जा सकता है।
- श्राद्ध कर्म पूजन दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए। साथ ही योग्य ब्राह्मण की के सहयोग से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के बाद जल से तर्पण करें। इसके बाद जो भी भोग लगाएं उसमें से गाय, कुत्ते, कौए, चींटी इत्यादि का हिस्सा अलग निकाल देना चाहिए और इन्हें भोजन डालते समय पितरों का ध्यान जरूर करना चाहिए