पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत कैसे रखें?
एकादशी व्रत का नियम दशमी तिथि से शुरू हो जाता है। यह व्रत 24 घंटे के लिए रखा जाता है। व्रत का पारण (व्रत खोलने की विधि) अगले दिन किया जाता है। जो लोग एकादशी का व्रत रखते है, वे इस दौरान किसी खाना नहीं खाते। हालांकि जो लोग व्रत नहीं रख सकते वे इस दिन फल और दूध इत्यादि का सेवन करते हैं। एकादशी व्रत के दौरान लहसुन-प्याज चावल (पका हुआ) इत्यादि का सेवन नहीं किया जाता है। मान्यता है कि इससे मन अशांत रहता है। चूंकि, एकदशी व्रत के दौरान मन को शांत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसलिए हर व्रती को इसका खास ख्याल रखना होता है। जबकि द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद उन्हें भोग लगाकर व्रत का पारण किया जाता है।पौष पुत्रदा एकादशी के उपाय
पौष मास की पुत्रदा एकादशी के दिन संतान प्राप्ति और उसकी खुशहाली के लिए कई उपाय किए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन कुछ उपायों को करने से संतान से जुड़ी मनोकामना पूरी होती है। पुत्रदा एकादशी के दिन संतान की प्राप्ति के लिए तुलसी या पुत्रजीवक बीज की माला पर संतान गोपाल मंत्र 'ओम् देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ' इस मंत्र का अधिक से अधिक जाप करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान से जुड़ी कामना भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण पूरी करते हैं। हालांकि जो महिलाएं दीक्षा प्राप्त हैं, उन्हें अपने गुरु से पूछकर ऐसा करना चाहिए।पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि
पुत्रदा एकादशी के दिन व्रती सुबह जगना चाहिए। उसके बाद स्नान करना चाहिए। नहाने के बाद मंदिर में भगवान की पूजा के लिए जाना चाहिए। अगर संतान प्राप्ति की कामना है तो इस दिन पति-पत्नी दोनों को व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन घर में भगवान की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा अगर आस-पास कोई विष्णु भगवान का मंदिर है तो वहां जातक दर्शन करने चाहिए। यह भी पढ़ें: कर्ज से मुक्ति दिलाता है सुंदर कांड का पाठ, जानें 7 फायदे
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।