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Panguni Uthiram 2023: भगवान कार्तिकेय की उपासना का पर्व है पंगुनी उथिरम, जीवनसाथी पाने के लिए ऐसे करें पूजा

Panguni Uthiram 2023: वैसे तो शिव परिवार के पूजा हर मंदिर में होती है। भगवान शिव, माता पार्वती और उनके दोनों पुत्र भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय, सभी को पूजा जाता है, लेकिन तमिलनाडु में भगवान कार्तिकेय (मुरुगन) की पूजा के लिए विशेष आयोजन होता है, जिसे पंगुनी उथिरम कहते हैं। पंगुनी उथिरम (Panguni Uthiram […]

Panguni Uthiram 2023: वैसे तो शिव परिवार के पूजा हर मंदिर में होती है। भगवान शिव, माता पार्वती और उनके दोनों पुत्र भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय, सभी को पूजा जाता है, लेकिन तमिलनाडु में भगवान कार्तिकेय (मुरुगन) की पूजा के लिए विशेष आयोजन होता है, जिसे पंगुनी उथिरम कहते हैं। पंगुनी उथिरम (Panguni Uthiram 2023) मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाता है। तमिलों के बीच इस त्योहार का बहुत महत्व है। इस दिन यहां के लोग भगवान शिव और पार्वती के साथ खास तौर पर भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) की पूजा भी करते हैं। यह पर्व विशेष नक्षत्र अर्थात उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में मनाया जाता है। इस साल पंगुनी उथिरम उत्सव 5 अप्रैल 2023 (यानी कल) को मनाया जाएगा। और पढ़िए – Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी पर ऐसे करें मंगलमूर्ति की पूजा, विघ्नहर्ता दूर करेंगे आपके सारे कष्ट

इन देवों की होती है पूजा

पंगुनी उथिरम को मीना उत्तर फाल्गुनी के नाम से भी जाना जाता है। इस शुभ दिन पर भगवान मुरुगन (कार्तिकेय), भगवान अयप्पा (भगवान गणेश), भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, लेकिन यह त्योहार विशेष रूप से भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) को समर्पित है। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में पंगुनी माह में पड़ने के कारण इसका नाम पंगुनी उथिरम पड़ा।

पंगुनी उथिरम 2023: तिथि और नक्षत्र का समय

  • उथिरम नक्षत्र प्रारंभ - अप्रैल 4, 2023 - 09:36 पूर्वाह्न
  • उथिरम नक्षत्र समाप्त - अप्रैल 5, 2023 - 11:26 पूर्वाह्न

पंगुनी उथिरम का महत्व

पंगुनी उथिरम का हिंदू तमिल लोगों के बीच एक महान धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। मान्यता है कि चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा उथिरम नक्षत्र में गोचर करता है। इस दिन को गौरी कल्याणम दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि कांचीपुरम में इस शुभ दिन पर भगवान शिव ने देवी गौरी के रूप में पार्वती से विवाह किया था। यह दिन विवाह के महत्व को दर्शाता है।

ऐसे मनाया जाता है पंगुनी उथिरम 

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें अच्छा और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। लोग भगवान मुरुगन की भी पूजा करते हैं और सुखी जीवन के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं। भोग प्रसाद के रूप में अर्पित करने के लिए पायसम (खीर) नामक एक विशेष मिठाई बनाई जाती है। लोग भगवान मुरुगन को प्रसन्न करने के लिए कई धार्मिक पुस्तकों जैसे कांडा षष्ठी कवसम और कांडा पुराणम आदि का पाठ करते हैं। भक्त कावड़ी को भगवान मुरुगन के मंदिर ले जाते हैं और भगवान को चढ़ाते हैं। तमिलनाडु में कांचीपुरम के एकंबरेश्वर मंदिर में पृथ्वी लिंगम (पृथ्वी तत्व) की भी पूजा की जाती है। यह त्योहार 13 दिनों तक मनाया जाता है।

इन राज्यों में खास तौर पर होते हैं उत्सव

यह त्योहार मुख्य रूप से भारत के दक्षिणी राज्यों जैसे केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। पंगुनी उथिरम के दिन लोग भगवान मुरुगन मंदिर जाते हैं। इनमें से अधिकांश मंदिरों में इस दिन देवी-देवताओं का दिव्य विवाह कराया जाता है और पुजारियों की ओर से कुछ विशेष रस्में निभाई जाती हैं। और पढ़िए – Festive Special Trains: इस बार त्योहारों पर यात्रियों को आरामदायक सफर देगा रेलवे, जानें- Chhath Puja तक की व्यवस्था

पंगुनी उथिरम की पूजा विधि

  • लोग सुबह जल्दी उठते हैं। स्नान करते हैं और साफ कपड़े पहनते हैं।
  • भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है और उन्हें सुंदर वस्त्र, आभूषण और फूलों से सजाया जाता है।
  • भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह कराया जाता है और विवाह की रस्मों को पूरा करने के बाद भगवान को भोग (खीर) प्रसाद चढ़ाया जाता है। बाद में इस प्रसाद को लोगों में बांट दिया जाता है।
  • भक्त भगवान मुरुगन की भी पूजा करते हैं और भगवान को भोग प्रसाद चढ़ाते हैं।
  • भक्त शाम को अपना उपवास तोड़ते हैं और भोग प्रसादम खाते हैं।
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