नए साल में रहना चाहते हैं टेंशन से मुक्त, तो जरूर करें ये चमत्कारी उपाय
New Year 2024 Upay
New Year 2024 Upay: आज के समय में हर व्यक्ति के पास किसी न किसी बात को लेकर टेंशन रहती है, जिसकी वजह से मानसिक तनाव होने लगता है। सेहत पर भी असर होने लगता है। ज्योतिष शास्त्र में इन सभी समस्याओं से मुक्ति पाने के उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करने के बाद आप जल्द मानसिक तनाव से मुक्ति पा सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नए साल यानी 2024 की शुरुआत सोमवार के दिन से हो रही है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। वहीं जिस जातक की कुंडली में चंद्र दोष होता है वह व्यक्ति परेशान रहता है। साथ ही उसका मन व्याकुल रहता है। क्योंकि चंद्र देव को मन का कारक माना गया है। मन शांति के लिए कुंडली में चंद्र की स्थिति मजबूत होनी चाहिए। तो आज इस खबर में कुंडली में चंद्र की स्थिति मजबूत करने के चमत्कारी उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में चंद्र की स्थिति मजबूत करने के लिए सोमवार के दिन चंद्र कवच व चंद्र स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में चंद्र की स्थिति मजबूत हो जाती है। जिससे मानसिक तनाव से मुक्ति भी मिल जाती है। तो आइए चंद्र स्तोत्र व चंद्र कवच के बारे में जानते हैं।
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चन्द्र कवच
समं चतुर्भुजं वन्दे केयूरमुकुटोज्ज्वलम् ।
वासुदेवस्य नयनं शंकरस्य च भूषणम् ॥
एवं ध्यात्वा जपेन्नित्यं शशिनः कवचं शुभम् ।
शशी पातु शिरोदेशं भालं पातु कलानिधिः ॥
चक्षुषी चन्द्रमाः पातु श्रुती पातु निशापतिः ।
प्राणं क्षपाकरः पातु मुखं कुमुदबांधवः ॥
पातु कण्ठं च मे सोमः स्कंधौ जैवा तृकस्तथा ।
करौ सुधाकरः पातु वक्षः पातु निशाकरः ॥
हृदयं पातु मे चंद्रो नाभिं शंकरभूषणः ।
मध्यं पातु सुरश्रेष्ठः कटिं पातु सुधाकरः ॥
ऊरू तारापतिः पातु मृगांको जानुनी सदा ।
अब्धिजः पातु मे जंघे पातु पादौ विधुः सदा ॥
सर्वाण्यन्यानि चांगानि पातु चन्द्रोSखिलं वपुः ।
एतद्धि कवचं दिव्यं भुक्ति मुक्ति प्रदायकम् ॥
यः पठेच्छरुणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् ॥
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चन्द्र स्तोत्र
श्वेताम्बर: श्वेतवपु: किरीटी, श्वेतद्युतिर्दण्डधरो द्विबाहु: ।
चन्द्रो मृतात्मा वरद: शशांक:, श्रेयांसि मह्यं प्रददातु देव:।।
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम ।।
क्षीरसिन्धुसमुत्पन्नो रोहिणी सहित: प्रभु: ।
हरस्य मुकुटावास: बालचन्द्र नमोsस्तु ते ।।
सुधायया यत्किरणा: पोषयन्त्योषधीवनम ।
सर्वान्नरसहेतुं तं नमामि सिन्धुनन्दनम ।।
राकेशं तारकेशं च रोहिणीप्रियसुन्दरम ।
ध्यायतां सर्वदोषघ्नं नमामीन्दुं मुहुर्मुहु: ।।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
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