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मांस-मछली का भोग, दिन में 4 बार आरती…200 साल पुराने मां काली के मंदिर की अनोखी परंपराएं

Navratri Special Kolkata Kalighat Temple: मां के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानिए जहां उन्हें मांस-मछली का भोग लगाया जाता और एक दिन पुरुषों का प्रवेश वर्जित होता...

Kalighat Temple Kolkata
Navratri Special Kolkata Kalighat Temple: नवरात्रि के दिनों में माता के दर्शन करना चाहते हैं तो माता के एक मंदिर में जरूर जाएं। यहां देवी सती की 10 महाविद्याओं में सबसे पहली काली की पूजा होती है। यहा देवी की काले पत्थर से बनी मूर्ति है, जिसमें देवी की 3 बड़ी-बड़ी आंखें हैं। सुनहरे रंग की जीभ निकली है। चारों भुजाएं सोने की हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती के पैर की उंगलियां गिरी थीं। यह मंदिर कोलकाता में है और मां के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह भी पढ़ें: देश में माता का एक मंदिर, जहां बिना मूर्ति के पूजा होती, 500 साल पुराना, मान्यता भी काफी अनोखी

मंदिर में मां काली को भोग की अनोखी परंपरा

मिली जानकारी के अनुसार, मंदिर में मां काली को छठे नवरात्रि तक मां को चावल, केला, मिठाई और जल का नेवैद्य चढ़ाया जाता है। सप्तमी की सुबह केले के पत्ते को मूर्ति के पास रखकर गणपति की पत्नी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि इस पूजा के दौरान अगर दीप बुझ गया तो अपशकुन माना जाएगा। अष्टमी-नवमी के बीच संधि पूजा होती है। इस पूजा के बाद मंदिर में अनुष्ठान के रूप में 3 बकरियों की बलि दी जाती है और यह प्रसाद श्रद्धालुओं में बांटा जाता है। बलि के लिए वेदियों बनाई गई हैं। यह भी पढ़ें: घर के मुखिया का शयन कक्ष दक्षिण दिशा में होना क्यों है शुभ? जानें वास्तु नियम

विजयदशमी को मंदिर में पुरुषों का प्रवेश वर्जित

नवरात्रि के आखिरी दिन राधा-कृष्ण की पूजा होती। अलग रसोई में दोनों के लिए शाकाहारी भोग बनाए जाते। भोग के बाद गर्भगृह में रखे केले के पत्ते को विसर्जित किया जाता और नवरात्रि समापन की आरती की जाती। विजयदशमी की दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक गर्भगृह में महिलाएं सिंदूर खेला खेलती है। इस दौरान पुरुषों के लिए मंदिर में प्रवेश वर्जित रहता है। बता दें कि मंदिर की मौजूदा इमारत 200 साल पुरानी है। मंदिर का जिक्र ग्रंथों में है। 15वीं-17वीं सदी के सिक्के मंदिर की प्राचीनता का प्रतीक हैं। यह भी पढ़ें: नवरात्रि में करें तुलसी के 5 चमत्कारी उपाय, दुख-दर्द और रोग से मिल जाएगी मुक्ति

दिन में 4 बार की जाती मां काली की आरती

शेड्यूल के अनुसार, मंदिर में 4 प्रहर की आरती होती है। पूजा की शुरुआत सुबह मंगला आरती से होती है। दोपहर में अन्न भोग चढ़ाया जाता, जिसमें पुलाव, चावल, सब्जी, मच्छी, मांस, चटनी, खीर होती है। शाम को पूरी, हलवा, मिठाई, दही का शीतल भोग चढ़ाया जाता है। आखिरी में शयन आरती के वक्त मां को राज भोग परोसा जाता है। इसके बाद मां सोने चली जाती हैं। <> डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी जानकारियों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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