Hariyali Teej 2022: इस कथा के बिना अधूरा रह जाएगा आपका हरियाली तीज का व्रत, यहां जानें कथा
Hariyali Teej 2022: हरियाली तीज का पावन व्रत 31 जुलाई दिन रविवार को है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस व्रत को हरितालिका तीज या तीजा भी कहते हैं। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में इस तीज को गौरी हब्बा के नाम से जाना जाता है। यह त्योहार मुख्य रुप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में मनाया जाता है और महिलाएं इस व्रत को रखती हैं।
और पढ़िए –Shukrawar Ke Upay: शुक्रवार को इन उपायों से खुश होती हैं मां लक्ष्मी, धन की भी नहीं होती कमी
हरतालिका का शाब्दिक अर्थ की बात करें तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है हरत और आलिका, हरत का अर्थ होता है अपहरण और आलिका अर्थात् सहेली, इस संबंध में एक पौराणिक कथा मिलती है जिसके अनुसार पार्वती जी की सखियां उनका अपहरण करके जंगल में ले गई थी।
हरतालिका तीज को बेहद कठिन व्रत माना जाता है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विधान है। हरतालिका तीज के दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत रखकर महादेव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने और विधि-विधान से पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखद होता है। पति-पत्नी के बीच अनबन दूर होती है।
हरतालिका तीज भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। मान्यता के मुताबिक माता पार्वती ने शंकर भगवान को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। माता पार्वती के इस तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इस दिन पार्वती जी की अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
हरियाली तीज व्रत कथा (Hartalika Teej Vrat Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, पिता हिमालय राज बेटी पार्वती का विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध भगवान विष्णु से न कर दें, इसलिए उनकी सखियां उनका अपहरण करके जंगल में ले गई थीं और एक गुफा में छुपा दिया था। यहीं पर अपनी सखियों की सलाह पर देवी पार्वती ने भगवान शिव की आराधना की। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र में देवी पार्वती ने मिट्टी से शिवलिंग बनकर विधिवत पूजा की और रातभर जागरण किया। उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था। सखियों के द्वारा हरी जाने के कारण ही इस व्रत का नाम हरितालिका पड़ा।
हरियाली तीज का महत्व
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत को करती हैं। मान्यता के अनुसार, इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की अराधना से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है। व्रत रखने के दौरान कुछ नियमों का पालन करना होता है। कई बार महिलाएं इसे भूल जाती हैं। जिसे व्रत करने के बाद भी उसका फल नहीं मिल पाता है।
और पढ़िए – Chanakya Niti: बच्चों के सामने माता-पिता को कभी नहीं करने चाहिए ये काम, वरना पड़ेगा पछताना
ऐसे करें पूजा हरियाली तीज की पूजा (Hariyali Teej Puja Vidhi)
व्रत पूजन विधान अवध नारायण के अनुसार व्रती महिलाओं को एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती की आकृति बनाकर पूजन करें।
हरियाली तीज शुभ मुहूर्त (Hariyali Teej Shubh Muhurt)
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 31 जुलाई को सुबह 6 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रही है। जो महिलाएं पूजा करना चाहती हैं वे 6 बजकर 32 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट तक पूजा कर सकती हैं। इसके अलावा प्रदोष काल में पूजा का मुहूर्त शाम के समय 6 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
और पढ़िए - आज का राशिफल यहाँ पढ़ें
Click Here - News 24 APP अभी download करें
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world
on News24. Follow News24 and Download our - News24
Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google
News.