कब-कब नहीं करना चाहिए गर्भाधान संस्कार
शास्त्रों की मानें तो गर्भाधान संस्कार, पूर्णिमा, अमावस्या, पितृ पक्ष, ग्रहण (सूर्य-चंद्र) और व्रत के दौरान नहीं करना चाहिए। मंगलवार, शनिवार और रविवार को गर्भाधान संस्कार नहीं करना चाहिए। इसके लिए तिथि की अगर बात करें तो चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथि पर भी गर्भाधान संस्कार के लिए स्त्री-पुरुष को एक साथ नहीं आना चाहिए। गर्भाधान के लिए दक्षिण दिशा शुभ नहीं मनी गई है।किस नक्षत्र में गर्भाधान संस्कार है शुभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मृगशिरा, हस्त, अनुराधा, रोहिणी, स्वाती, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र में गर्भाधान संस्कार करना शुभ होता है।किन नक्षत्रों में ना करें गर्भाधान संस्कार
जिस नक्षत्र में पुरुष का जन्म हुआ हो, मूल, भरणी, अश्विनी, रेवती और मघा नक्षत्र की अवधि में कभी भी गर्भाधान संस्कार नहीं करना चाहिए।गर्भाधन संस्कार के लिए उपयुक्त समय
पीरियड से चौथे दिन से लेकर 16 वें दिन तक की अवधि गर्भाधान संस्कार के लिए उपयुक्त है। हालांकि इस दौरान भी दिन का समय उपयुक्त नहीं माना गया है। ऐसा करने के कमजोर, दुर्भाग्यशाली और कम उम्र का संतान प्राप्त होता है। यह भी पढ़ें: मकान की नींव में क्यों डालते हैं कलश और चांदी से बना सांप? जानें सही दिशा
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।