Ganesh Chaturthi 2022: विघ्नहर्ता के इन मंदिरों में दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सभी इच्छाएं, विदेशों से भी आते हैं भक्त
Ganesh Chaturthi 2022: देशभर में इन दिनों 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव की तैयारी जोरों पर है। इस साल गणेश चतुर्थी 31 अगस्त से शुरू होने जा रहा है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाएगी जबकि 10वें दिन अनंत चतुर्दशी के मौके पर 9 सितंबर को गणेश पूजन के बाद उनके प्रतिमा का इस भरोसे के साथ विसर्जन किया जाता है। कई लोग एक दिन, तीन दिन, पांच दिन या सात दिनों के लिये भी गणपति जी को घर पर लाते हैं।
वैसे तो देशभर में भगवान गणेश के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन आज हम आपको कुछ प्राचीन गणेश मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां ईश्वर के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति की सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं।
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सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई (Siddhivinayak Temple, Mumbai)
महाराष्ट्र के मुंबई शहर में बना सिद्धिविनायक मंदिर बेहद ही ज्यादा मशहूर है। यहां आम लोगों के साथ ही बॉलीवुड सेलेब्स भी भगवान गणेश के दर्शन को आते हैं। सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 विथु पाटिल नाम के एक स्थानीय ठेकेदार द्वारा किया गया था। मंदिर के शिखर पर 3.5 किलो सोने का कलश लगा हुआ है। सिद्धि विनायक मंदिर में मंगलवार को होने वाली आरती काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। इस दिन भक्तों की लाइन 2 किलोमीटर तक लंबी होती है।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर, जयपुर (Moti Dungri Ganesh Mandir, Jaipur)
जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर (Ganesh Temple ) में लोग दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं। यहां दाहिनी सूंड़ वाले गणेशजी की विशाल प्रतिमा है। 'गणेश चतुर्थी' के अवसर पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु गणेश भगवन के दर्शन के लिए आते हैं। यहां की मूर्ति 500 साल से ज्यादा पुरानी है। बताया जाता है कि यहां स्थापित गणेश प्रतिमा जयपुर नरेश माधो सिंह की रानी पटरानी के पीहर मावली से 1761 ई. में लाई गई थी।
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खजराना गणेश मंदिर, इंदौर (Khajrana Ganesh Mandir, Indore)
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर का खजराना गणेश मंदिर देशभर में मशहूर है। इस मंदिर का निर्माण 1735 में होल्कर वंश की महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था। मान्यताओं के मुताबिक,यह प्रतिमा एक स्थानीय पंडित मंगल भट्ट को सपने में नजर आई थी। इसके बाद यहां खुदाई में भगवान की मूर्ति मिली और फिर रानी अहिल्या बाई होल्कर ने यहां मंदिर बनवा दिया।
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