TrendingHOROSCOPE 2025Ind Vs AusManmohan Singhyear ender 2024Maha Kumbh 2025Delhi Assembly Elections 2025bigg boss 18

---विज्ञापन---

Dussehra 2023: झारखंड के प्रसिद्ध देवघर में क्यों नहीं जलता है रावण? बताई जाती है खास मान्यता

Deoghar City of Jharkhand : दशहरे के दिन देशभर में कई जगहों पर रावण और कुंभकर्ण के विशाल पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन देश में ऐसे कई स्थान हैं, जहां पर रावण का पुतला जलाया जाना वर्जित माना जाता है।

Deoghar City of Jharkhand : दशहरे के दिन देशभर में कई जगहों पर रावण और कुंभकर्ण के विशाल पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन झारखंड के देवघर शहर में यानी बाबाधाम, झारखंड की धार्मिक-आध्यात्मिक राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है, जहां रावण के पुतले नहीं जलाए जाने के पीछे एक खास मान्यता है।

रावण के प्रति 'कृतज्ञता' का भाव

देवघर में भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक कामना महादेव स्थापित हैं, जो रावणेश्वर महादेव के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। माना जाता है कि लंका का शासक रावण इस ज्योतिर्लिंग को लंका ले जा रहा था, लेकिन हालात ऐसे बने कि इसे देवघर में ही स्थापित कर दिया गया। ऐसे में इस शहर के लोग रावण के प्रति आभार प्रकट करते हुए विजयादशमी के दिन उसका पुतला नहीं जलाते हैं।

जहां रावण बुराई का प्रतीक नहीं माना जाता

देवघर यानी बाबाधाम मंदिर के तीर्थ पुरोहित प्रभाकर शांडिल्य कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि इस शहर में रावण को बुराई का प्रतीक नहीं माना जाता, लेकिन हमारी संस्कृति में कृतघ्नता की परंपरा नहीं है। भले ही किसी शत्रु ने जाने-अनजाने में हम पर कोई उपकार किया हो, हम उसकी अच्छाई के प्रति सम्मान रखते हैं। रावण शिव का बहुत बड़ा भक्त था। जब वह बैद्यनाथ का ज्योतिर्लिंग कैलाश से ला रहे थे तो भगवान विष्णु द्वारा रची गई माया के कारण उन्हें ज्योतिर्लिंग को देवघर की भूमि पर रखना पड़ा और वह यहीं स्थापित हो गया था, तभी से यह स्थान बाबा नगरी के नाम से प्रसिद्ध है।

देवघर में माता सती का हृदय गिरा था

रावण यहां ज्योतिर्लिंग की स्थापना का कारण बना, इसलिए उसका पुतला जलाने की परंपरा नहीं है। प्रभाकर शांडिल्य कहते हैं कि देश-विदेश में रावण दहन बुराई के प्रतीक के तौर पर किया जाता है। देवघर के लोग भी इस शाश्वत सत्य को स्वीकार करते हैं, लेकिन इसके बावजूद हम उनकी शिवभक्ति का सम्मान करते हैं, गौरतलब है कि देवघर ज्योतिर्लिंग धाम के साथ-साथ शक्तिपीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि देवघर में माता सती का हृदय गिरा था। इसलिए यह इकलौता धाम है, जहां शिव और शक्ति की पूजा समान आस्था के साथ होती है। (आईएएनएस)


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.