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Diwali 2023: त्रेतायुग से ही मनाया जाता है दिवाली का त्योहार, नोट कर लें दीपावली की शुभ तिथि, मुहूर्त और महत्व

Diwali 2023 Date: सनातन धर्म में दिवाली पर्व का खास धार्मिक महत्व है। कहा जाता है कि दिवाली का इतिहास त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है। आइए अखिल भारतीय ज्योतिष विचार संस्थान के अध्यक्ष डॉ. केपी द्विवेदी शास्त्री जी से जानते हैं दिवाली का इतिहास महत्व, परंपरा और अनुष्ठान के बारे में।

Diwali 2023
Diwali 2023 Date Time by dr KP Dwivedi: भारत वर्ष विभिन्न जातियों, धर्मों, वर्गों का देश है परंतु भारत में अधिक संख्या में सनातन धर्मी लोग निवास करते हैं अतः देश के प्रत्येक प्रांत में दीपावली का त्यौहार व उत्सव किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। हिन्दु धर्मावलंम्बियों व सनातन धर्मियों का एक विशेष त्यौहार है। इस त्यौहार की प्रतीक्षा प्रत्येक सनातन धर्मी बेसब्री के साथ प्रतीक्षा करते हैं। यह प्रत्येक वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही होता है। एक कथानक है यह त्यौहार कब से और क्यों मनाया जाता है उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी में चक्रवर्ती राजा दशरथ का राज्य था जिनके 3 रानियाँ थीं। राजा को 4 पुत्रों की प्राप्ति वृद्धावस्था में हुई थी। 4 पुत्रों के नाम इस प्रकार हैं। राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। इनके गुरू वशिष्ठ थे। गुरू ने राजा को आज्ञा दी अब आप वृद्ध हो चुके हैं अतः आपको अपने बड़े पुत्र राम को राज्य का कार्यभार सौंप देना चाहिए। महाराज दशरथ की अतिप्रिय महारानी कैकेयी थी। कैकेयी ने राजा से तीन वरदान लिए थे। उन वरदानों को प्राप्त करने के लिये राजा से कहा हमारे तीन वरदान हमें दीजिए। पहले वरदान में मर्यादा पुरूषोत्तम राम को 14 वर्ष का बनवास माँगा। राज्याभिषेक के दिन ही वनवास हुआ और अपने दो पुत्रों को भरत, शत्रुघ्न को अयोध्या का राज सौंपने को कहा। महाराज दशरथ व्यथित थे फिर भी उन्होंने अपने वरदानों के बंधन में बंधकर 14 वर्ष का बनवास दिया। राम सहर्ष वन के लिये प्रस्थान करने लगे उसी समय लघु भ्राता लक्ष्मण और पत्नी सीता ने कहा कि मैं भी वन में चलूँगी। इस प्रकार से तीनों लोग वन के लिए प्रस्थान कर गए। पंचवटी में सीता का रावण द्वारा हरण हुआ जिसका कारण उसकी बहन शूर्पनखा थी। शूर्पनखा अपना विवाह प्रस्ताव लेकर राम लक्ष्मण के पास आई उन्होंने उसकी नाक काट दी। शूर्पनखा रोती बिलखती भाई रावण के पास आई उसने कहा दो वनवासियों ने मेरी नाक काट दी है। अब आप अपनी नाक बचा लेना। रावण बहुत क्रोधित हुआ। क्रोध में आकर सीता का हरण कर लिया। सीता को कुटिया में न देखकर राम लक्ष्मण विलाप करते हुए वन-वन में भटकने लगे। यह भी पढ़ें: नवरात्रि में नजर आएं 5 संकेत तो समझिए मां दुर्गा हैं बेहद प्रसन्न! जल्द घर आएगी सुख-समृद्धि और धन-दौलत सीता की खोज हनुमान बजरंगबली ने की। बताया कि लंकाधिपति के नियंत्रण में सीता मैया है और उनको छुड़ाने के लिये रावण को ललकारा। समुद्र पार करके रावण से भयंकर युद्ध हुआ। तत्पश्चात् रावण मारा गया। श्रीराम की विजयी हुई। इसी विजय को अयोध्या में त्रेतायुग से अब तक दीपावली के रूप में त्यौहार मनाया जाता है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के माननीय श्री आदित्य योगीनाथ की सरकार के द्वारा अयोध्या में दीपावली के दिन असंख्य दीप जलाकर दीपोत्सव प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह थी दीपावली मनाने की कहानी।

इस वर्ष 2023 में दीपावली का त्यौहार इस प्रकार मनाएं

  विक्रम संवत् 2080 शाके 1945 एवं 2023 को कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या दिनांक 12.11.2023 दिन रविवार को है। रविवार को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी। इसका समापन अगले दिन 13 नवंबर 2023, सोमवार की दोपहर 2 बजकर 55 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में वैसे तो उदया तिथि के आधार पर पर्व और त्यौहार मनाए जाते हैं, लेकिन दीपावली रात्रि का त्यौहार है इसलिए दीपावली 12 नवम्बर 2023 को ही मनाई जाएगी परन्तु ये त्यौहार 5 दिन मनाया जाता है पांच दिन का दीपोत्सव का त्यौहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। 9 नवम्बर गुरूवार को गोवत्स द्वादशी है। इस दिन गाय और गाय के बछड़ों को नहलाकर सजाया जाता है और गाय के बछड़े की पूजा की जाती है। दिनांक 10 नवंबर दिन शुक्रवार को प्रदोष व्रत एवं धन त्रयोदशी है। इस दिन सभी श्रद्धालु भक्तगण नवीन सामग्री का क्रय करते हैं जो शुभ माना जाता है। यम को दीपदान किया जाता है तत्पश्चात् दिनांक 13 नवंबर मंगलवार को धुलेड़ी मनाई जाएगी। 14 नवंबर बुधवार को भैयादूज का कार्यक्रम होगा। सभी भाई बहन मनाएंगे। बहन भाई को तिलक करेगी। इस प्रकार से दीपावली का त्यौहार मनाया जायेगा। 15 नवम्बर को गोवर्धन पूजा की जाएगी। इस प्रकार से 5 दिन दीपावली हिंदू पंचांग के अनुसार मनाया जाएगी। यह भी पढ़ें: नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के 5 सिद्ध सम्पुट मंत्रों का जाप साबित होगा वरदान! घर आएगी सुख-समृद्धि   डॉ0 के0पी0 द्विवेदी शास्त्री राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय ज्योतिष विचार संस्थान दिल्ली-110035


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