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Diwali 2023: इस वर्ष कब आएगी दिवाली और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

Diwali 2023: दिवाली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान राम अपना वनवास पूरा करके वापिस अयोध्या लौटे थे। बहुत सी पारंपरिक और धार्मिक श्रुतियों के अनुसार दिवाली के साथ कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। इन कथाओं के अनुसार दिवाली का पांच दिवसीय […]

Image credits: commons.wikimedia.org
Diwali 2023: दिवाली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान राम अपना वनवास पूरा करके वापिस अयोध्या लौटे थे। बहुत सी पारंपरिक और धार्मिक श्रुतियों के अनुसार दिवाली के साथ कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। इन कथाओं के अनुसार दिवाली का पांच दिवसीय पर्व भगवान गणपति, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, भगवान कृष्ण और बलराम के साथ-साथ यमदेव की भी पूजा का पर्व है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष दिवाली कब आएगी।

दिवाली 2023 तिथि एवं मुहूर्त (Diwali 2023 Date, Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली का पर्व इस वर्ष 10 नवंबर 2023 को धनतेरस के साथ आरंभ होगा और 14 नवंबर को भाई दूज के साथ समाप्त होगा। इस बार गोवर्धन पूजा और भाई दूज दोनों पर्व एक साथ, एक ही दिन आ रहे हैं। इस त्योहार की मुख्य तिथियां इस प्रकार हैं- यह भी पढ़ें: ये हैं लक्ष्मी प्राप्ति के 4 महाशक्तिशाली उपाय धनतेरस - 10 नवंबर 2023, शुक्रवार छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी - 11 नवंबर 2023, शनिवार दिवाली एवं लक्ष्मी पूजा - 12 नवंबर 2023, रविवार गोवर्धन पूजा एवं भाई दूज - 14 नवंबर 2023, मंगलवार इस वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या 12 नवंबर को दोपहर 2.45 बजे आरंभ होकर अगले दिन 13 नवंबर को दोपहर 2.57 बजे समाप्त होगी। ऐसे में लक्ष्मी पूजा तथा दिवाली का पर्व भी 12 नवंबर को ही मनाया जाएगा परन्तु गोवर्धन पूजा 13 नवंबर के बजाय एक दिन बाद अर्थात् 14 नवंबर को की जाएगी। दिवाली को लक्ष्मी पूजा का समय सायं 5.39 बजे से रात्रि 8.16 बजे तक है। यह भी पढ़ें: बस 5 मिनट का यह उपाय करें, मां लक्ष्मी घर की सब तिजोरियां भर देंगी

कैसे करें दिवाली पर गणेश पूजा और लक्ष्मी पूजा?

इस दिन सायं स्नान कर साफ-सुथरे, नए कपड़े पहन कर घर के मंदिर में गणेशजी की पूजा करें। इसके बाद अपने इष्टदेव, गुरुदेव तथा अन्य देवताओं की पूजा करें। सबसे अंत में मां लक्ष्मी की पूजा करें और अपने गुरु मंत्र का जप करें। पूजा में गणेशजी, मां लक्ष्मी तथा मां सरस्वती को अक्षत, पुष्प, माला, सुगंध, धूप बत्ती, देसी घी का दीपक, प्रसाद तथा नैवेद्य अर्पित करें। पूजा के अंत में अपने गुरु द्वारा दिए गए मंत्र अथवा इष्टदेव के मंत्र का जप करें। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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