मां ब्रह्मचारिणी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने पूर्व जन्म में पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था। मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। जिसके परिणामस्वरूप इन्हें पतश्चारिणी यानी ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना लगा। कहते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी ने एक हजार वर्ष तक सिर्फ फल-फूल का सेवन किया। मान्यता यह भी है कि मां ब्रह्मचारिणी ने तकरीबन 3 हजार वर्षों तक टूटे हुए बेलपत्र का सेवन कर भगवान शिव की आराधना कीं। इस क्रम में कई हजार वर्षों तक मां ब्रह्मचारिणी ने निराहार रहकर तपस्या कीं। यह भी पढ़ें: Weekly Horoscope: आज से शुरू हो रहे हैं 8 राशियों के अच्छे दिन, पूरे सप्ताह होगी जमकर आर्थिक उन्नति पौराणिक कथा के मुताबिक कठोर तपस्या के कारण मां ब्रह्मचारिणी का शरीर क्षीण हो गया। मां ब्रह्मचारिणी की तपस्या को सभी देवता गण, ऋषि, मुनि ने सराहा और कहा कि अब तक किसी ने ऐसी तपस्या नहीं की। ऋषिगणों ने कहा कि जल्द ही आपको (मां ब्रह्मचारिणी) भगवान शिव जी पति रूप में प्राप्त होंगे। इतना कहने के बाद और देवता के आग्रह पर मां ब्रह्मचारिणी ने अपनी कठोर तपस्या को विराम दिया और अपने स्थान को लौट गईं। मां ब्रह्मचारिणी की कथा का सार मां ब्रह्मचारिणी की इस कथा का सार यह है कि व्यक्ति को कभी भी विपरीत परिस्थिति में भी घबराना नहीं चाहिए। बल्कि उसका डटकर सामना करना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से ही भक्तों को सभी कार्यों में सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
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