TrendingInd Vs AusIPL 2025UP Bypoll 2024Maharashtra Assembly Election 2024Jharkhand Assembly Election 2024

---विज्ञापन---

Navratri 2023 Day 2: मां ब्रह्मचारिणी की उत्पत्ति कैसे हुई, नवरात्रि के दूसरे दिन हर किसी को पढ़नी चाहिए यह कथा

Brahmcharini Katha: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। इस दिन देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की उत्पत्ति की कथा।

Brahmcharini Katha
Maa Brahmcharini Katha: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। शारदीय नवरात्रि में दूसरे दिन की पूजा 16 अक्टूबर, सोमवार को की जाएगी। पौराणिक ग्रंथों में मां दुर्गा के इस स्वरूप को भक्तों के लिए अनंत फलदायी बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से जीवन में त्याग, सदाचार, संयम, वैराग्य और तप की प्राप्ति होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ- तप का आचरण करने वाली से है। मां ब्रह्मचारिणी अपने दिव्य स्वरूप में देवी ज्योतिर्मय और अनंत दिव्य है। माता रानी के दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल है। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की कथा और इनकी उत्पत्ति के बारे में।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने पूर्व जन्म में पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था। मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। जिसके परिणामस्वरूप इन्हें पतश्चारिणी यानी ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना लगा। कहते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी ने एक हजार वर्ष तक सिर्फ फल-फूल का सेवन किया। मान्यता यह भी है कि मां ब्रह्मचारिणी ने तकरीबन 3 हजार वर्षों तक टूटे हुए बेलपत्र का सेवन कर भगवान शिव की आराधना कीं। इस क्रम में कई हजार वर्षों तक मां ब्रह्मचारिणी ने निराहार रहकर तपस्या कीं। यह भी पढ़ें: Weekly Horoscope: आज से शुरू हो रहे हैं 8 राशियों के अच्छे दिन, पूरे सप्ताह होगी जमकर आर्थिक उन्नति पौराणिक कथा के मुताबिक कठोर तपस्या के कारण मां ब्रह्मचारिणी का शरीर क्षीण हो गया। मां ब्रह्मचारिणी की तपस्या को सभी देवता गण, ऋषि, मुनि ने सराहा और कहा कि अब तक किसी ने ऐसी तपस्या नहीं की। ऋषिगणों ने कहा कि जल्द ही आपको (मां ब्रह्मचारिणी) भगवान शिव जी पति रूप में प्राप्त होंगे। इतना कहने के बाद और देवता के आग्रह पर मां ब्रह्मचारिणी ने अपनी कठोर तपस्या को विराम दिया और अपने स्थान को लौट गईं। मां ब्रह्मचारिणी की कथा का सार मां ब्रह्मचारिणी की इस कथा का सार यह है कि व्यक्ति को कभी भी विपरीत परिस्थिति में भी घबराना नहीं चाहिए। बल्कि उसका डटकर सामना करना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से ही भक्तों को सभी कार्यों में सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.