TrendingMakar Sankranti 2025Ind Vs AusMaha Kumbh 2025Delhi Assembly Elections 2025bigg boss 18

---विज्ञापन---

Nag Panchami: जब यज्ञ की अग्नि में भस्म कर दिए गए थे अनगिनत सांप; जानें किसने और क्यों किया था सर्पदमन यज्ञ

जींद: आज नाग पंचमी है। इसे नागों के राजा तक्षक को अभय दान मिलने की खुशी में मनाया जाता है। आज के दिन सांपों को दूध से स्नान कराने का विधान सदियों से चला आ रहा है, लेकिन News 24 हिंदी आज आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बता रहा है, जिसे आप शायद […]

जींद: आज नाग पंचमी है। इसे नागों के राजा तक्षक को अभय दान मिलने की खुशी में मनाया जाता है। आज के दिन सांपों को दूध से स्नान कराने का विधान सदियों से चला आ रहा है, लेकिन News 24 हिंदी आज आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बता रहा है, जिसे आप शायद ही जानते होंगे। तक्षक नाग उन दो नागों में से एक थे, जिनकी वजह से नागवंश का अस्तित्व बचा था। इनके अलावा दुनिया के तमाम सांपों को एक अनुष्ठान में जला-जलाकर भस्म कर दिया गया था। आइए जानें, किसने, कहां और क्यों किया था सर्पदमन यज्ञ, जहां से तक्षक नाग जान बचाकर भागे थे... बता दें कि धर्मयुद्ध के लिए प्रसिद्ध कुरुक्षेत्र के 48 कोस दायरे में आते जींद जिले की अपनी ऐतिहासिक महत्ता है। इस जिले में स्थित कस्बा सफीदों का भी अपना एक इतिहास है, जिसे कभी सर्पदमन के नाम से जाना जाता था। बात 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व की है, जब पांडुपुत्र अर्जुन के पौत्र राजा जन्मेजय ने पूरी धरती को नागरहित कर देने का प्रण करने के बाद एक यज्ञ किया था। मंत्रशक्ति के वशीभूत होकर हर तरफ से अनगिनत सांप आ-आकर यज्ञ में गिरते गए और भस्म होते गए। अंत में यहां से सिर्फ दो नाग (एक तक्षक और दूसरा कर्कोटक) ही बचे थे। पौराणिक किंवदंति के अनुसार कर्कोटक ने उज्जैन में महाकाल नामक राजा के यहां शरण लेकर अपनी जान बचाई। दूसरी ओर तक्षक को अभयदान मिल गया था। ऋषिपुत्र के शाप से गई थी अर्जुन के पुत्र राजा परीक्षित की जान अब अगर इस विनाशकारी यज्ञ की पृष्ठभूमि पर बात करें तो जन्मेजय के पिता राजा परीक्षित एक दिन अपनी मायूसी को दूर करने के उद्देश्य से जंगल में शिकार पर निकल गए। वहां तपस्या में लीन शभीक ऋषि को देखकर राजा अभिमान में आ गया कि मैं यहां खड़ा हूं यह तपस्या का ढोंग कर रहा है। तैश में आकर राजा परीक्षित ने वहां पास ही पड़े हुए एक मरे हुए सांप को अपने धनुष के एक सिरे से उठाकर ऋषि के गले में डाल दिया। इसके बाद शभीक मुनि का पुत्र वहां पहुंचा और उसने सारा नजारा देखा तो उसने परीक्षित को शाप दे दिया कि आज से सातवें दिन यही मरा हुआ सांप तुझे डसेगा। हालांकि परीक्षित ने शाप से बचने के लिए एक से बढ़कर एक कोशिश की, लेकिन वैसा ही हुआ, जैसी कि भविष्यवाणी की गई थी। बताया जाता है कि परीक्षित को डसने वाला यह नाग तक्षक ही था। इसके बाद अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए राजा जन्मेजय ने पूरी धरती को सर्पविहीन कर देने का प्रण लिया और यज्ञ कराया। ऐसे बची थे तक्षक के प्राण मान्यता है कि भगवान शिव के कंठ की शोभा वासुकि नाग की प्रेरणा से एक ब्राह्मण जन्मेजय के यज्ञ में पहुंच गया, जहां तक्षक का नाम लेकर आहूति देने का वक्त हुआ ही था। इसी बीच उस ब्राह्मण बालक से राजा जन्मेजय काफी प्रभावित हुए और वरदान मांगने को कहा तो ब्राह्मण बालक ने उसी क्षण यज्ञ समाप्ति की घोषणा का वचन मांगा। इस पर जन्मेजय ने यज्ञ तुरंत समाप्त करवा दिया। हालांकि इससे पहले तक्षक देवराज इंद्र की शरण मेंं थे और यज्ञ में प्रयोग हो रही मंत्रशक्ति के आगे मजबूर होकर इंद्र तक्षक को वहां अकेलो छोड़कर लौट गए थे।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.